दो हफ्ते तक अपना रंग दिखाने के बाद राजस्थान में मॉनसून अब विदाई की ओर है. लेकिन जाते-जाते मॉनसून अगस्त की कमी को पूरा करते हुए जा रहा है. मौसम केन्द्र, जयपुर के अनुसार गुरुवार को पूर्वी राजस्थान के जयपुर, भरतपुर, अजमेर संभाग में कहीं-कहीं हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश होने की संभावना है. हालांकि अब बारिश होने से किसानों को काफी नुकसान होगा. इससे पहले पिछले दो हफ्तों में हुई बारिश से किसानों की करोड़ों रुपये की फसलें खराब हो चुकी हैं. सबसे ज्यादा नुकसान मूंग, बाजरा, मक्का और कपास में हुआ है.
वहीं, मौसम विभाग का कहना है कि इस बार मॉनसून तय समय से कुछ देरी से ही विदा होगा. इससे साफ है कि अगर और बारिश हुई तो खेतों में पकी हुई खड़ी फसल में और नुकसान होगा.
मौसम केन्द्र, जयपुर ने अगले दो हफ्तों के लिए मौसम का पूर्वानुमान जारी किया है. पहले हफ्ते यानी 22 से 26 सितंबर के दौरान कोटा, उदयपुर, भरतपुर व जयपुर संभाग में कहीं-कहीं दोपहर बाद मेघगर्जन के साथ हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश दर्ज होने की प्रबल संभावना है. वहीं, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर संभाग में मौसम शुष्क रहेगा. कहीं-कहीं हल्की बारिश होने की संभावना है. वहीं, 29 से पांच अक्टूबर के दौरान सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना विभाग ने जताई है.
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इस मॉनसून सीजन में अब तक प्रदेश में सामान्य से करीब 14 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है. एक जून से गुरुवार 21 सितंबर तक पूरे राजस्थान में 487 मिमी बारिश हुई है. जबकि इस दौरान औसत बारिश 425.4 एमएम है. वहीं, अगर पूर्वी राजस्थान की बात करें तो यहां जून से अब तक सामान्य से 0.02 प्रतिशत कम बारिश हुई है. यहां सामान्य बारिश 611.8 एमएम है. जबकि अब तक इस क्षेत्र में 600 एमएम बारिश दर्ज हुई है.
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इसके अलावा पश्चिमी राजस्थान में इस सीजन में सामान्य से 43 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है. पश्चिमी राजस्थान में इस साल 396.4 एमएम बारिश अब तक हुई है. जबकि यहां एक जून से 21 सितंबर तक सामान्य तौर पर 277 एमएम बारिश होती है.
लगातार बारिश के कारण कालीसिंध और माही नदियों का जल स्तर बढ़ा है. मध्यप्रदेश के गांधी सागर बांध से पानी छोड़ने के कारण चंबल नदी उफान पर है. इससे कोटा बैराज के 13 गेट खोलने पड़े थे. वहीं, बांसवाड़ा के माही डैम के भी गेट खोले गए हैं. पश्चिमी राजस्थान के तीन जिलों में भारी बरसात का अलर्ट जारी किया गया है. उधर, जवाई बांध के भी छह गेट खोले गए हैं. इसके अलावा कालीसिंध, परवन, आहू नदियों में भी जलस्तर बढ़ने से आसपास के गांवों में पानी भरने का खतरा बढ़ गया है.
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