भारत की खेती में अब तेजी से बदलाव हो रहा है, क्योंकि भारत की मिट्टी में अब न केवल पारंपरिक फसलें उगाई जाती हैं, बल्कि विदेशी और पोषण से भरपूर ड्रैगन फ्रूट जैसी फसलें भी लहलहा रही हैं. इस बदलाव की अगुवाई देश के कई राज्यों के किसान कर रहे हैं. इसी बीच इस अगुवाई को आगे बढ़ाने वाली एक महिला किसान हैं डॉ. सुनीला, जो हरियाणा की रहने वाली है. सुनीला कुमारी ने अपनी दूरदर्शी सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सैकड़ों किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है. दरअसल, उनकी संस्था, ड्रैगनफ्लोरा फार्म्स, न केवल ड्रैगन फ्रूट की टिकाऊ खेती को बढ़ावा दे रही है, बल्कि भारतीय किसानों को वैश्विक बाजार से जोड़कर उनकी आय को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद कर रही है. आइए, जानते हैं उनकी इस प्रेरणादायक यात्रा की कहानी के बारे में.
डॉ. सुनीला कुमारी कोई साधारण महिला नहीं हैं. उन्होंने बागवानी में पीएच.डी और इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री ले रखी है. इसके अलावा उनके पास शिक्षा, कॉर्पोरेट और उद्यमिता का 15 साल से अधिक का अनुभव है. लेकिन उनका दिल हमेशा से किसानों की बेहतरी के लिए धड़कता था. उन्होंने कहा कि भारतीय किसान मेहनत तो बहुत करते हैं, लेकिन जानकारी और संसाधनों की कमी के कारण उनकी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल पाता. यहीं से जन्म हुआ ड्रैगनफ्लोरा फार्म्स का सपना, जिसका उद्देश्य था ड्रैगन फ्रूट जैसी लाभकारी फसल को भारतीय खेतों तक पहुंचाना.
डॉ. सुनीला ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट भविष्य का फल है. यह न केवल पोषण से भरपूर है, बल्कि इसे कम पानी और संसाधनों के साथ भी आसानी से उगाया जा सकता है. यह फल किसानों के लिए बेहतर कमाई का जरिया हो सकती है. उनकी यह सोच आज सैकड़ों किसानों की जिंदगी बदल रही है. बता दें कि उनके द्वारा तैयार ड्रैगनफ्लोरा फार्म्स की मदद से डॉ. सुनीला ने किसानों को जैविक खेती के तरीके सिखाए, जिसमें रासायनिक खादों का इस्तेमाल न के बराबर हो, वे प्रिसिजन फार्मिंग जिसे परिशुद्ध कृषि भी कहा जाता है उसको बढ़ावा देती हैं, जिसमें पानी, खाद और मेहनत का उपयोग होता है. इससे न केवल लागत कम होती है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता है.
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उन्होंने कहा कि किसानों को बीज से लेकर फसल की बिक्री तक हर कदम पर मार्गदर्शन दिया जाता है. ड्रैगनफ्लोरा फार्म्स हर किसान की जमीन और जलवायु के हिसाब से वैज्ञानिक पैकेज तैयार कराता है, जिसमें यह बताया जाता है कि कब, क्या, और कितना करना है. इसके अलावा फसल को प्राकृतिक तरीके से ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए जूट की बोरियों और बांस की टोकरियों जैसी पर्यावरण-अनुकूल पैकिंग का उपयोग सिखाया जाता है.
डॉ. सुनीला की मेहनत का नतीजा है कि आज उनके सिखाए 100 से ज्यादा किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती से बंपर मुनाफा कमा रहे हैं. उनकी ट्रेनिंग और वैज्ञानिक मार्गदर्शन ने किसानों को न केवल आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उन्हें वैश्विक बाजार से जोड़ने का रास्ता भी दिखाया है. उनकी संस्था यह तय करती है कि किसानों की फसल सही दाम पर सही ग्राहक तक पहुंचे. डॉ. सुनीला का कहना है, “मेरा सपना है कि भारतीय किसान न केवल अपने देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बनाएं. ड्रैगन फ्रूट की खेती इसके लिए एक शानदार मौका है.
ड्रैगन फ्रूट की खेती को भारत में लोकप्रिय बनाने में कई चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी समस्या है जागरूकता की कमी. शहरों में भी लोग इस फल के स्वास्थ्य लाभों और खेती की संभावनाओं से अनजान हैं. इसके अलावा, भारत अभी भी ड्रैगन फ्रूट का आयात करता है, जबकि स्थानीय किसान इसे उगा रहे हैं. इस अंतर को पाटने के लिए डॉ. सुनीला ने जागरूकता अभियान शुरू किए हैं. वे स्कूलों, कॉलेजों, और सामुदायिक समूहों में जाकर ड्रैगन फ्रूट के फायदे और खेती के तरीके समझाती हैं.
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