हिमाचल प्रदेश के एक जिला मुख्यालय हमीरपुर से सटे अणु गांव में शिक्षक दंपत्ति ने शिक्षा के साथ साथ अपने गांव में आधुनिक खेती की लौ भी जलाई है. इस दंपत्ति ने खेती और पशुपालन छोड़ चुके कई परिवारों को स्वरोजगार की राह दिखाई है. गन्ने की खेती से महज 15 से 20 हजार की लागत और देसी खाद का इस्तेमाल कर यह परिवार हर साल अच्छी कमाई कर रहा है. एक कनाल में गन्ने की बिजाई की लागत महज 1500 रुपये है, जबकि इसकी फसल पांच साल तक काट कर हर साल 50 हजार से अधिक की कमाई की जा सकती है. इस फॉर्मूले को अपनाकर पारंपरिक खेती को छोड़ ग्रामीणों के लिए यह मेहनतकश शिक्षक दंपत्ति एक प्रेरणा बनकर उभरे हैं. इस दंपति ने आधुनिक तरीके से खेती के एक नहीं बल्कि कई सफल प्रयोग भी किए हैं. महज खेती ही नहीं इस दंपत्ति ने पशुपालन के लिए भी कई परिवारों को प्रेरित किया है.
पिछले सात साल से गन्ने की खेती कर रहे इस दंपत्ति ने एक दफा फसल की बिजाई कर अब तक अच्छी खासी कमाई कर ली है. नौकरीपेशा होने के बावजूद हेडमास्टर सतपाल ठाकुर और उनकी पत्नी कला अध्यापक अंजना ठाकुर गन्ना और सब्जियों की खेती और गाय पालन से हर साल अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
यह परिवार पिछले डेढ़ दशक से इस कार्य में जुटा है. ये लोग खेतों में पावर ट्रिलर और क्रॉप कटर का प्रयोग करते है. अंजना ठाकुर और उनके बेटे भी पॉवर ट्रिलर से खुद खेतों में बिजाई करते हैं. गाय पाल कर वह बाजार में रोजाना 15 से 20 लीटर दूध भी बेचते हैं. इस शिक्षक दंपत्ति की मेहनत को देख कर गांव के 15 से 20 परिवार भी अब नकदी फसलों की खेती की ओर रुख कर चुके हैं.
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हेड मास्टर सतपाल ठाकुर का कहना है कि गन्ने की खेती का यह फॉर्मूला किसानों को मालामाल कर देगा. एक कनाल भूमि में गन्ने की बीज समेत बिजाई की लागत डेढ़ हजार के करीब है. इसके बाद पांच साल तक इसकी फसल ली जा सकती है. यदि किसान जूस का स्टॉल खोलकर गन्ने का जूस बेचता है तो एक कनाल से ही 50 हजार से अधिक कमाई कर सकता है. दस कनाल में बिजाई की लागत 15 हजार के करीब पहले साल आएगी और पांच साल तक किसान 5 लाख के करीब कमाई आराम से कर सकता है. यदि गन्ने का जूस बेचने की बजाय इसकी शक्कर तैयार करके बेची जाती है तो 25 हजार के लगभग कमाई एक कनाल से की जा सकती है.
ठाकुर ने कहा कि जूस और शक्कर के झंझट में यदि किसान उलझना नहीं चाहता है तब भी हर साल एक कनाल में 10 क्विंटल गन्ना बेच कर किसान 16 हजार के करीब औसतन कमाई कर सकता है. मसलन 10 कनाल में गन्ने की खेती कर 15 हजार की लागत से हर साल किसान डेढ़ लाख से अधिक की फसल बेच सकता है. पांच साल में यह मुनाफा आठ लाख के करीब होगा.
हेड मास्टर सतपाल ठाकुर का कहना है कि स्कूल से फ्री होने के बाद वह खेती का कार्य कर रहे हैं. खेती और किसानी से ही तीन से चार लाख रुपये की कमाई करते हैं. दूध गंगा योजना के तहत गाय पालन से ही हर माह 15 से 20 हजार कमाए जा सकते हैं. गाय पालन से भी स्वरोजगार पैदा हो सकता है. वो केले की खेती का प्रयोग भी कर चुके हैं.गन्ने की खेती में मक्का की खेती के बराबर ही मेहनत है लेकिन मुनाफा अधिक है. ठाकुर का कहना है कि वो लंबे समय से गन्ने की खेती वह कर रहे हैं.
सतपाल ठाकुर के पिता दुनी चंद का कहना है कि आज के दौर में जब लोग जमीनों को बिना खेती के छोड़ रहे है उनके बच्चे नौकरी के बावजूद खेती को तवज्जों दे रहे हैं.
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