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Success Story: कश्मीरी गुलाब की खेती ने बदली जिंदगी, किसानों को सरकार दे रही है मदद

Success Story: कश्मीरी गुलाब की खेती ने बदली जिंदगी, किसानों को सरकार दे रही है मदद

कश्मीरी गुलाब की पंखुड़ियाँ देशी गुलाबों की तुलना में बड़ी और अच्छी होती हैं, इसलिए गुलकंद बनाने की गुणवत्ता अच्छी रहती है. कश्मीरी गुलाब देशी गुलाबों की तुलना में अधिक टिकाऊ होते हैं. वर्ष 2020-21 में, लगभग 200 किसानों को 30 हेक्टेयर भूमि में गुलाब की खेती के लिए वडोदरा के कृषि कार्यालय द्वारा मदद दी गई है.

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कश्मीरी गुलाब की खेती कश्मीरी गुलाब की खेती

पारंपरिक खेती की तुलना में फूलों की खेती किसानों के लिए अब बेहद फायदेमंद साबित हो रही है. बाजार में साल भर गेंदा और गुलाब जैसे फूलों की डिमांड रह रही है. त्योहार हो या घरों की सजावट करनी हो या फिर शादी-ब्याह, कोई भी आयोजन बिना फूल के पूरा नहीं होता है. ऐसे में किसान फूल की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. वडोदरा सायर गांव के  किसान गुलाब सहित मोगरो और पारस के फूलों की खेती करते हैं. जिले के कर्जन तालुका में कश्मीरी गुलाब सहित फूलों की व्यापक रूप से खेती की जा रही है. यह तालुका गुलाब की सुगंधित खेती का केंद्र बन चुका है. 

बड़ी कोरल और छोटी कोरल, पुरा, देरोली, राणापुर, कोठिया और दिवेर गाँवों में कश्मीरी और देशी गुलाब की खेती मुख्य रूप से खेती की जा रही है. कर्जन तालुका में सायर गांव के किसान मुकेश माछी और रोशन माछी का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी गुलाब की खेती करते आ रहे हैं. इससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है. उन्होंने दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित किया है.

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दोनों गुलाबों में क्या है अंतर

कश्मीरी गुलाब की पंखुड़ियाँ देशी गुलाबों की तुलना में बड़ी और अच्छी होती हैं, इसलिए गुलकंद बनाने की गुणवत्ता अच्छी रहती है. कश्मीरी गुलाब देशी गुलाबों की तुलना में अधिक टिकाऊ होते हैं. इस गुलाब की बुवाई सिर्फ दिन में की जा सकती है. जबकि देशी गुलाब की बुवाई रात में की जाती है. इस प्रकार, इस गुलाब ने रात में जागने की असुविधा को समाप्त कर दिया है. वडोदरा के बागवानी अधिकारी योगेश भाई खाट बताते हैं कि बागवानी विभाग किसानों को प्रति हेक्टेयर रोपाई के लिए सब्सिडी प्रदान करता है. जिसे में छोटे किसानों को विभाग 16 हजार और बड़े किसानों को 10 हजार रूपये रोपाई के लिए मदद मिलती है.

किसान ने क्या कहा?    

किसान मुकेश माछी बताते हैं कि सायर गांव में 100 हेक्टेयर भूमि में से 90 प्रतिशत में कश्मीरी और देशी गुलाब की खेती की जाती है. इसके अलावा, यहाँ के किसान मोगरो और पारस पुष्प की खेती भी करते हैं. मुकेश माछी  के अनुसार, सायर गाँव में पिछले 30 वर्षों से गुलाब की खेती की जा रही है.माछी बताते हैं कि कोरोनाकाल के समय लॉकडाउन  के दौरान जब गुलाब का भाव नहीं मिल रहा था तब तो उन्होंने पहले गुलाब को सुखाया और उन्हें सावली तालुका के कुंजराव में बेचकर इनकम कमाया.

इन शहरों में भेजा जाता है गुलाब 

क्षेत्र के किसान वडोदरा, सूरत, अहमदाबाद, भावनगर जैसे शहरों में कश्मीरी गुलाब बेचते हैं. बड़े व्यापारी इन गुलाब पार्सल को मुंबई और दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में भेजते हैं. वर्ष 2020-21 में, लगभग 200 किसानों को 30 हेक्टेयर भूमि में गुलाब की खेती के लिए वडोदरा कार्यालय द्वारा रोपण सहायता दी गई थी. सरकारी सहयोग से खेती को आगे बढ़ाने में मदद मिल रही है.

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