वर्तमान समय में देश के किसान रासायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती की और तेजी से रुख कर रहे हैं. ऐसी ही एक किसान हैं अडारीबारिकी सीथम्मा. ये आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले के पेडलाबुडु गांव की एक प्रमुख प्राकृतिक किसान हैं. उन्होंने अपनी खेती 2019 में शुरू की. मई महीने के प्री-मॉनसून में अपनी फसलों पर 200 किलोग्राम घनजीवामृत डाला और मिट्टी की न्यूनतम जुताई की. इससे उन्हें फसलों की पैदावार बढ़ाने में मदद मिली.
वहीं इस प्राकृतिक खेती ने उनकी जिंदगी को बदल दिया. सीथम्मा ने अपनी 0.30 एकड़ भूमि से 28,000 रुपये की कुल आय अर्जित की. आइए जानते हैं सीथम्मा ने किन फसलों की खेती कर बेहतर कमाई की है.
अडारीबारिकी सीथम्मा ने अपने खेत में सफेद और लाल राजमा, मक्का, टमाटर, लाल चना, रागी और अन्य बाजरा, के साथ ही पत्तेदार सब्जियां और मूंगफली के बीज बोए. उन्होंने मूंगफली को छोड़कर बाकी सभी बीजों को बीजामृत से उपचारित करके कतार में बोया था. इसके अलावा उन्होंने अपनी फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए प्राकृतिक तरीका भी अपनाया था. इसमें वो गीली घास के रूप में सूखी घास का उपयोग करती थीं और उस पर मिट्टी छिड़कती थीं.
ये भी पढ़ें:- घर में उगानी हैं सब्जियां तो इन 5 खादों को जान लें, इस्तेमाल का तरीका भी पढ़ें
फसलों को मवेशियों और अन्य जानवरों से बचाने के लिए खेतों में कांटों की बाड़ लगाई गई थीं. फसल चक्र पूरा होने तक हर दो सप्ताह में द्रव्यजीवामृत का छिड़काव किया करती थीं. इसके अलावा फसल को मच्छरों और अन्य कीटों के हमले से बचाने और फूलों को झड़ने से रोकने के लिए नीमास्त्र का छिड़काव करती थीं.
सीथम्मा ने अपनी फसलों को सभी चरणों में सावधानीपूर्वक निगरानी की. उन्होंने किसी भी मौसम में कोई भूमि परती नहीं छोड़ी और पीएमडीएस तकनीक अपनाई. उन्होंने अपनी 0.30 एकड़ भूमि से 28,000 रुपये की कमाई की. वह लगभग प्रतिदिन अपनी पत्तेदार सब्जियों की कटाई करती थीं और एक भी दिन ऐसा नहीं था जब उसकी आय प्रतिदिन 500 रुपये से कम हो. साथ ही राजमा की पैदावार में धीरे-धीरे बढ़ोतरी से उनकी कृषि आय बढ़ाने में मदद मिली.
प्राकृतिक खेती से फसलों की उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. वहीं इसकी खेती करने वाले किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा भी होता है. इसकी खेती में प्राकृतिक खाद का प्रयोग होने से यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. वहीं यह पार्यावरण के लिए भी काफी बेहतर होता है. प्राकृतिक खेती के लिए पानी का भी कम इस्तेमाल किया जाता है. प्राकृतिक खेती के फायदे को देखते हुए अलग-अलग राज्यों में किसानों का रुझान इसकी ओर तेजी से बढ़ता जा रहा है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today