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Rajasthan: बाड़मेर के प्रगतिशील किसान को मिला मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड

Rajasthan: बाड़मेर के प्रगतिशील किसान को मिला मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड

विक्रम सिंह बताते हैं कि मैंने पिछले साल खेती शुरू की और अब सफल प्रोगरेसिव किसान हूं. मैंने पिछले साल अपने बंजर पड़े खेतों में एक मल्टीनेशनल कंपनी से करार कर करीब 40 लाख रुपये की आलू की पैदावार ली है. इस साल भी आलू बोए हैं. 

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बाड़मेर के प्रगतिशील किसान को मिला मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड बाड़मेर के प्रगतिशील किसान को मिला मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड

राजस्थान के रेतीले जिले से ताल्लुक रखने वाले प्रगतिशील किसान विक्रम सिंह का दिल्ली में सम्मान हुआ है. खेती में नए प्रयोगों और ना मुमकिन को मुमकिन बनाने के लिए सिंह को मिलेनियर फॉर्मर ऑफ इंडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया है. हाल ही में दिल्ली में आयोजित हुए सम्मान समारोह में विक्रम सिंह को नवाजा गया. विक्रम में बाड़मेर जिले के तारातरा में आलू उगाकर नवाचार किया था. रेगिस्तान में आलू उगाकर विक्रम पूरे देश के मीडिया में छा गए थे. इसके बाद जौ और तरबूज की खेती भी सिंह ने अपने खेतों में की.

देश के विभिन्न मीडिया संस्थानों ने उनकी इस अनूठी कोशिश को काफी सराहा. 

लॉ, जर्नलिज्म, बॉलीवुड, विदेश में भी नहीं मिली सफलता, खेती में कमाया नाम

विक्रम में काफी सालों से विभिन्न क्षेत्रों में काम किया था, लेकिन उन्हें कहीं सफलता नहीं मिली. अंत में कोविड काल के दौरान वे घर वापस आए और खेती शुरू कर दी. विक्रम कहते हैं कि जिस उम्र में लोग अपना करियर सैटल कर लेते हैं, मैं सब जगह असफल हो रहा था. 2005 में ग्रेजुएशन, लॉ डिग्री, पत्रकारिता पढ़ने के बाद कई कंपनियों में काम किया.

राजस्थान के एक बड़े अखबार में भी रिपोर्टिंग की, लेकिन ना तो मन में संतुष्टि थी और ना ही ज्यादा सफलता मिली. बाड़मेर जिले के तारातरा गांव के किसान विक्रम सिंह बताते हैं कि मैंने पिछले साल खेती शुरू की और अब सफल प्रोगरेसिव किसान हूं. मैंने पिछले साल अपने बंजर पड़े खेतों में एक मल्टीनेशनल कंपनी से करार कर करीब 40 लाख रुपये की आलू की पैदावार ली है. इस साल भी आलू बोए हैं. 

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पढ़ाई का उपयोग करें तो खेती फायदे का सौदा

विक्रम खेती में सफलता का श्रेय अपनी पढ़ाई-लिखाई को देते हैं. वे कहते हैं, “मेरे पास आर्ट्स, लॉ, पत्रकारिता की पढ़ाई और अनुभव था. साथ ही इतने साल बड़ी कंपनियों में काम भी किया. ये सब अनुभव खेती के दौरान काम आए. खेती में नई तकनीक का सहारा लिया. कई नवाचार किए. 

100 रोज तक दिन-रात खेत में मेहनत की. अब उस मेहनत का परिणाम सामने है. बंजर और रेतीली भूमि में 350 टन आलू उगा लिए. इसीलिए मेरा मानना है कि खेती को भी बाकी अन्य कामों के तरह पेशेवर होकर किया जाए तो यह फायदे का सौदा है.”

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कई नेता-अफसर कर चुके पत्र भेजकर तारीफ

विक्रम के खेती में किए नवाचारों के कारण ना सिर्फ उन्हें खेती-किसानी के क्षेत्र में पहचान मिली है बल्कि देश के कई मंत्री, विधायकों और अफसरों ने प्रशंसा पत्र तक भेजे हैं. इनमें कृषि राज्य मंत्री, राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, राजस्थान सरकार में राज्य मंत्री रहे भंवर सिंह भाटी, सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के पूर्व अध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह जसोल, सिरोही जिला कलक्टर सहित कई आईएएस, आईआरएस, आईएएफएस ने विक्रम को प्रशस्ति पत्र भेजे हैं. उन्हें इस साल 15 अगस्त के दिन जिला स्तर पर सम्मानित भी किया गया.