केंद्र सरकार ने पहली बार बन्नी के घास के मैदानों में चीतों के संरक्षण-प्रजनन के लिए एक प्रजनन केंद्र को मंजूरी दी है. कभी चीतों का घर रही बन्नी ग्रास लैंड अब फिर से विश्व पटल पर जानी जाएगी. वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गुजरात के कच्छ जिले के बन्नी घास के मैदानों में चीता के संरक्षण प्रजनन के लिए एक परियोजना को मंजूरी प्रदान की है. इसे राज्य सरकार ने राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन प्राधिकरण (राष्ट्रीय कैंपा) के तहत मंजूरी के लिए भेजा था. इसे शुक्रवार आठ दिसंबर को राष्ट्रीय CAMPA कार्यकारी समिति की बैठक में मंजूरी दे दी गई. जो गुजरात के लिए गर्व की बात है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) इस परियोजना की की निगरानी करेगा.
गुजरात सरकार का दावा है कि अतीत में, बन्नी घास का मैदान चीतों का घर था. समय के साथ चीते विलुप्त हो गए. गुजरात ने पहल की और बन्नी ग्रासलैंड क्षेत्र में चीता के लिए प्रजनन केंद्र बनाने की परियोजना तैयार की और इसे भारत सरकार को भेजा. केंद्र सरकार की मंजूरी से अब कच्छ का बन्नी ग्रासलैंड फिर से विश्व पटल पर चीता के निवास स्थान के रूप में जाना जाएगा और कच्छ सहित गुजरात के पर्यटन उद्योग को इससे बढ़ावा मिलेगा.
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बन्नी ग्रासलैंड रिज़र्व भारत में एक संरक्षित क्षेत्र है. यह रिज़र्व गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है. बन्नी ग्रासलैंड रिज़र्व घास के मैदानों, आर्द्र भूमियों और नमक क्षेत्रों का एक अनूठा पारिस्थितिकी तंत्र है. बन्नी ग्रासलैंड रिज़र्व विभिन्न प्रकार की लुप्तप्राय वन्यजीव प्रजातियों का सपोर्ट करता है. रिज़र्व स्थानीय समुदायों को आजीविका प्रदान करता है. बन्नी ग्रासलैंड रिज़र्व अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है. यह रिज़र्व दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है. इन प्रजातियों में भारतीय भेड़िया, एशियाई जंगली गधा, भारतीय बस्टर्ड और काला हिरण शामिल हैं. बन्नी ग्रासलैंड रिज़र्व प्रवासी पक्षियों के प्रजनन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है.
बताया गया है कि चीते बन्नी घास के मैदानों में स्वतंत्र रूप से घूमते थे, लेकिन दुर्भाग्य से राज्य के जंगली परिदृश्य में विलुप्त हो गए. अब नए प्रस्ताव की मंजूरी के साथ कच्छ क्षेत्र के जंगल में फिर चीतों का राज होगा. वन्यजीव विशेषज्ञों ने 1921 तक सौराष्ट्र और दाहोद में चीता की उपस्थिति के ऐतिहासिक साक्ष्य को स्वीकार करते हुए, 1940 के दशक की शुरुआत तक गुजरात में उनके अस्तित्व की पुष्टि की हुई है. हालांकि, यह भी बताया जाता है कि कच्छ में वर्तमान में पर्याप्त शिकार आधार का अभाव है. इसलिए इस क्षेत्र में चीतों को वापस लाने से पहले प्रजनन केंद्र स्थापित करने और एक उपयुक्त शिकार आबादी पेश करने की आवश्यकता है. ( रिपोर्ट/ब्रिजेश दोषी)
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