MBA ग्रेजुएट ने जॉब छोड़कर शुरू की हाइड्रोपोनिक खेती, कई गुना हो रहा मुनाफा; स्‍टार्टअप भी मचा रहा धमाल

MBA ग्रेजुएट ने जॉब छोड़कर शुरू की हाइड्रोपोनिक खेती, कई गुना हो रहा मुनाफा; स्‍टार्टअप भी मचा रहा धमाल

तीन साल तक मुंबई में जॉब करने के बाद चंडीगढ़ के प्रीतपाल ने फुलटाइम खेती करने का निर्णय लिया. इसमें भी उन्‍होंने अपनी पुश्‍तैनी जमीन पर हो रही पारंपरिक खेती को छोड़कर बिना मिट्टी के खेती वाली हाइड्रोपोनिक तकनीक को अपनाया. आज वे इससे कई गुना मुनाफा कमा रहे हैं और स्‍टार्टअप के जरिए इच्‍छुक लोगों को इसकी ट्रेनिंग भी दे रहे हैं.

Advertisement
MBA ग्रेजुएट ने जॉब छोड़कर शुरू की हाइड्रोपोनिक खेती, कई गुना हो रहा मुनाफा; स्‍टार्टअप भी मचा रहा धमालहाइड्रोपोनिक्स तकनीक से खेती (फाइल फोटो)

पंजाब और हरियाणा में ज्‍यादातर किसान खरीफ और रबी दोनों मौसमों में धान और गेहूं उगाते हैं. हर साल एक ही फसल उगाने से मिट्टी में बीमारी का खतरा बढ़ता उर्वरता में भी कमी आती है. इस समस्‍या को दूर करने के लिए एमबीए ग्रेजुएट फार्मर प्रीतपाल सिंह 2016 में 50 साल से गेहूं और धान की खेती कर रहे अपने परिवार को नई तरीके की खेती की ओर ले आए, जिसमें अब उन्‍हें खूब मुनाफा हो रहा है. साथ ही उन्‍होंने इसी क्षेत्र में एक स्‍टार्टअप की भी शुरूआत की है.

पारंपरिक खेती करता था परि‍वार

'द बेटर इंडिया' की रिपोर्ट के मुताब‍िक, प्रीतपाल हमेशा खेती को ज्‍यादा लाभदायक बनाने और पारंपरिक खेती-किसानी के सिस्‍टम से जुड़े जोखिमों को कम करने के नए तरीकों के बारे में सोचते रहते थे. इसी खोज में उन्‍होंने अपने तीन साल में ही कॉर्पोरेट करियर को अ‍लविदा कह दिया और पूर्ण रूप से उन्‍नत खेती में लग गए. किसान परिवार से आने वाले प्रीतपाल नागपुर में अपनी उच्च शिक्षा ग्रहण की और मुंबई में नौकरी जॉब की. वे जब भी अपने खेत पर जाते थे तो सोचते थे कि खेती को अगली पीढ़ी के लिए फायदेमंद उद्यम में कैसे बदला जाए. 

हर महीने 8 क्विंटल साग उगाते हैं प्रीतपाल

प्रीतपाल ने अपने खेत में 8 हजार वर्ग फीट क्षेत्र में हाइड्रोपोनिक्स की संरक्षित खेती प्रणाली से बिना मिट्टी के 25,000 हरे पत्तेदार पौधे- सलाद और पालक उगाकर एक संपन्न व्यवसाय में बदल दिया है। वे हर महीने 8 क्विंटल तक पत्तेदार साग की फसल काटते हैं, जिससे कम संसाधनों का उपयोग करते हुए पारंपरिक खेती की तुलना में पांच गुना पैदावार होती है. इस प्रणाली में फफूंद और जीवाणु संक्रमण जैसी कई मिट्टी जनित बीमारियों का खतरा टल जाता है.

प्रीतपाल अब इटाल‍ियन तुलसी, बेबी पालक, तीन से चार प्रकार के सलाद, लाल और पीले शिमला मिर्च जैसी बेल वाली फसलें और बीज रहित खीरे जैसी विदेशी पत्तेदार सब्जियां उगाते हैं. प्रीतपाल बताते हैं कि यह सिस्‍टम खुले खेत में खेती की तुलना में 90 प्रतिशत पानी बचाती है. इसमें पोषक तत्वों के लिए उतनी ही खाद डाली जाती है, जितनी पौधे को लगती है और लागत कम लगती है.

90 टन खीरा और 30 टन शिमला मिर्च की पैदावार

प्रीतपाल ने बताया कि उन्होंने 2.5 एकड़ के खेत में पूरी प्रणाली स्थापित करने में एकमुश्‍त 60 लाख रुपये लगाए है, लेकिन पूरे साल इससे फायदा मिलता है. वर्तमान में, वह हाइड्रोपोनिक तरीके से पत्तेदार सब्जियां उगाते हैं और हर महीने 800 किलोग्राम तक उपज प्राप्त करते हैं। प्रीतपाल 1.5 एकड़ में फैले प्राकृतिक रूप से हवादार पॉलीहाउस में शिमला मिर्च और बीज रहित खीरे भी उगाते हैं, जिससे सालाना 90 टन तक बिना बीज वाली खीरा और 30 टन तक शिमला मिर्च की फसल लेते हैं. उन्‍हें कुल मिलाकर इस सेटअप से 30 प्रतिशत अधिक रिटर्न मिलता है.

प्रीतपाल ने बताया कि‍ वे शुरूआत में उन्होंने हाइड्रोपोनिक्स फार्म स्थापित करने के लिए मुंबई की एक कंपनी से मदद ली, लेकिन उनके पास पर्याप्त ज्ञान नहीं था. इसकी वजह से वे चार महीनों तक कुछ भी नहीं उगा सके. इसके बाद उन्‍होंने खुद ही सिसर्च की और हर पहलु के बारे में जान-सीखकर सही बदलाव किए. हम भारत में पश्चिमी देशों के हाइड्रोपोनिक्स सेटअप को कॉपी-पेस्ट नहीं कर सकते. हमें देश के विभिन्न राज्यों की अलग-अलग जलवायु परिस्थितियों पर भी विचार करने की जरूरत है.

2020 में शुरू किया स्टार्टअप

2020 में प्रीतपाल ने एग्रीटेक स्टार्टअप फार्मकल्ट की शुरुआत की है. इसमें वे हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से खेती में भविष्‍य देखने वाले इच्छुक लोगों के लिए सेवाएं देते हैं. प्रीतपाल का स्‍टार्टअप आधुनिक हाइड्रोपोनिक फार्म डिजाइन और स्थापित करने का करता है और अपने ग्राहकों को कम से कम छह महीने तक इसके बारे में सीखने जानने में सहायता भी देते हैं. साथ ही वे उगाई जा रही फसलों के लिए बाजार में संपर्क स्थापित करने में भी मदद करता है. उन्होंने पिछले तीन महीनों में कार्यशालाओं के माध्‍यम से 100 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया है.

POST A COMMENT