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Maize farming: अब पर्यटकों की मांग के हिसाब से फसल उगा रहे अयोध्या के किसान, मक्के ने बढ़ाई कमाई

Maize farming: अब पर्यटकों की मांग के हिसाब से फसल उगा रहे अयोध्या के किसान, मक्के ने बढ़ाई कमाई

राम मंदिर के निर्माण के बाद ऐतिहासिक स्थल का चेहरा परिवर्तित हो गया है. यहां के क्षेत्र में पर्यटन और व्यापार में वृद्धि हुई है, जिससे यहां के किसानों को अधिक बाजार और विकल्पों का सुनहरा मौका प्राप्त हुआ है. राम मंदिर के निर्माण से अयोध्या के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास की धारा में नया उतार-चढ़ाव आया है, जिसने यहां के किसानों को नए और अधिक विकसित रास्तों की ओर मोड़ दिया है.

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अयोध्या के किसान शोभाराम की मक्के की फसल अयोध्या के किसान शोभाराम की मक्के की फसल

राम मंदिर के निर्माण के साथ ही क्षेत्र में कई अहम बदलाव आए हैं. मक्के की मांग में वृद्धि के कारण, अयोध्या के किसान मक्के की खेती से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. राम मंदिर के निर्माण से क्षेत्र में केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व ही नहीं बढ़ा है, बल्कि यहां की आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि हुई है. अयोध्या के पर्यटकों और यात्रियों की बढ़ती मांग के साथ, स्थानीय व्यापार और खेती संबंधित उद्यमों को भी बढ़ावा मिला है. इससे किसान अपनी फसलों को विविधता देने और ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार फसल उत्पादन केंद्रित करने का निर्णय ले रहे हैं. अयोध्या में आने वाले पर्यटकों की संख्या हर दिन लाखों में हो गई है, जिससे केवल व्यापारियों को ही नहीं, बल्कि यहां के किसानों को भी बड़ा लाभ हुआ है.

अब किसान पर्यटकों की मांग के हिसाब से फसल उगाने लगे हैं. भूट्टे के लिए उपयोग किया जाने वाला मीठा मक्का भी है, जिसे लोग भूट्टे को भूनकर खाना पसंद करते हैं. शहरों में हाई रेट के बावजूद भी इसकी मांग ज्यादा रहती है. शहर के अंदरूनी चौराहों से लेकर हाईवे तक, आपको भूट्टे के शौकीन मिल जाएंगे. इसलिए शहरों के आस-पास के किसान इससे भरपूर लाभ उठा सकते हैं. अब अयोध्या के किसानों के लिए मक्का की फसल फायदेमंद साबित हो रहा है क्योंकि गन्ना, गेहूं और धान की जगह अब पर्यटकों की पसंदीदा चीजें खेती की जा रही हैं. इससे उनकी खेती से बंपर कमाई हो रही है. इनमें अलग-अलग इस्तेमाल के लिए अलग-अलग प्रकार के मक्के की खेती की जा रही है.

अयोध्या में मक्के की खेती से फायदा

गांव बरसंडी अयोध्या के किसान द्वारका मौर्या जो एक छोटे किसान हैं, ने एक बीघा यानी 1000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में दिसंबर के मौसम में मक्के की फसल लगाई थी. एक बीघे में लगभग 7500 मक्के के पौधे लगाए गए थे. इसमें उनकी जुताई, बुवाई और सिंचाई का मात्र 6 हजार का खर्च आया था. उनके हरे-भरे पौधों में औसतन एक से दो मक्का भुट्टा लगा था जिन्हें वह 4-5 रुपये के मूल्य में बेचते थे. इससे उन्हें लगभग 20 हजार का लाभ हुआ, जिससे वे बहुत खुश हैं. मक्के की मांग को देखते हुए अयोध्या के किसान मार्च और अप्रैल में अधिकांश खेत खाली रखते थे. लेकिन बहुत से किसान भूट्टे, फल और सब्जियों की मांग बढ़ने के कारण अपने खेती में गर्मी के फल के रूप में केले और सब्जियों में टमाटर, मिर्च, खीरा, तरबूज और खरबूज की खेती करने लगे हैं.

व्यापारियों के साथ किसानों की बल्ले बल्ले  

गांव मगलसी जिला अयोध्या के किसान शोभाराम  ने अधिक फायदा पाने के लिए मार्च में भूट्टे वाले 2000 मक्के के पौधे और इंटर-क्रॉप फसल के रूप में 1000 खीरे के पौधे और 1500 मिर्च के पौधे लगाए हैं. इससे उन्हें लगभग 50 से 60 हजार रुपये तक का फायदा होगा. उन्होंने बताया कि खीरे की दो फसलों से 25 हजार, मक्के के भूट्टे से 10 हजार और मिर्च की फसल से 20 से 25 हजार का रुपये का आमदनी होगी. इसी तरह, गांव कन्हाई जिला अयोध्या के राज बहादुर ने मक्के के भूट्टे के लाभ को देखते हुए एक एकड़ में ज्यादा में फसल लगाई है जिस पर खर्च 30 हजार रुपये आया है. उन्होंने बताया कि 90 दिनों की इस फसल से उन्हें 1 लाख 30 हजार तक की उपज मिलेगी. इस तरह, लागत काटकर लगभग एक लाख की बचत होगी.  

अयोध्या के किसानों के लिए केले और सब्जियों की खेती से बढ़ता फायदा
केले और सब्जियों की खेती से बढ़ता फायदा

भुट्टे से बढ़ी किसानों की कमाई

कृषि विज्ञान केंद्र अयोध्या के हेड डॉ. बीपी शाही ने अयोध्या में भुट्टे वाली मक्का की खेती करने की सलाह दी है. जायद में फरवरी-मार्च का महीना बुवाई का सही समय है. भूट्टे के लिए यह फसल 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है, या थोड़ी लंबी अवधि वाली 80 से 90 दिनों में भी तैयार हो जाती है. अयोध्या का कृषि विज्ञान केंद्र इस लाभ को देखते हुए किसानों के खेतों पर फील्ड ट्रायल भी कर रहा है. इस मक्के के खेत में इंटर-क्रॉप फसलों से कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो रहा है. इससे किसानों को बेहतर लाभ हो सकता है.

किसानों को मिला केवीके का साथ

डॉ. शाही ने बताया कि भूट्टे वाले मक्का की खेती में एक एकड़ में 30 हजार पौधे लगते हैं. औसतन, एक पौधे पर एक से दो भूट्टे लगते हैं. एक भूट्टा 4 से 5 रुपये में बिकता है. इस तरीके से एक एकड़ में कुल उत्पादन लगभग 1 लाख 30 हजार से लेकर 1 लाख 40 हजार रुपये का होता है. इस तरह, यह फसल अयोध्या के नजदीकी स्थानों के लिए लाभकारी साबित हो गई है. डॉ. शाही ने बताया कि इस तरह की फसल, गेहूं और धान की तुलना में कम खाद और पानी में तैयार हो जाती है और इसके लिए छोटे व्यापारी खेत से ही भूट्टे को 5 रुपये के हिसाब से खरीद लेते हैं. इस तरह, फसल किसानों के लिए लाभदायक साबित हो गई है. वे बताते हैं कि यहां के किसान गेंदा, गुलाब, फलों में केला और सब्जियों में हरी सब्जियों की खेती भी बढ़ा रहे हैं क्योंकि उन्हें इससे नकद और अधिक लाभ मिल रहा है.