आजकल खेती में नए इनोवेशन और कई तरह के प्रयोग हो रहे हैं. इसीलिए बड़ी-बड़ी कंपनियां इस क्षेत्र में हाथ आजमा रही हैं. किसान तक भी अपनी कई खबरों और वीडियो के माध्यम से खेती में हो रहे नवाचारों को लगातार आपके सामने रख रहा है. ‘किसान के पास किसान तक’ सीरीज की इस कड़ी में हमें उदयपुर में कुछ युवाओं का शुरू किए एक ऐसे स्टार्टअप के बारे में पता चला जो खेती में पानी की खपत को कम करता है. यह प्रोडक्ट किसी भी फसल में सिंचाई की संख्या को कम करता है और उत्पादन भी बढ़ाता है.
फिलहाल राजस्थान सहित देश के कई शहरों में यह प्रोडक्ट किसानों के बीच पहुंच रहा है. इसके अलावा जापान में भी यह कंपनी किसान के साथ काम कर रही है. स्टार्टअप शुरू करने वाले तीन युवा हैं और इनके प्रोडक्ट का नाम फसल अमृत है. अपने काम के लिए कंपनी को कई अवार्ड मिल चुके हैं. कंपनी का नाम है ईएफ पॉलीमर. किसान तक ने कंपनी के फाउंडर्स में एक अंकित जैन से बात की.
अंकित किसान तक को बताते हैं, “हमारे देश के किसान काफी मेहनती हैं, लेकिन पानी की कमी और मिट्टी की उपजाऊकता कम हो रही है. इसीलिए 2018 में हमने ईएफ पॉलीमर नाम से कंपनी बनाई. प्रोडक्ट का नाम रखा फसल अमृत. लेकिन आइडिया पर काम कई साल से हो रहा था. मेरे अलावा नारायण लाल गुर्जर और पूरण सिंह राजपूत भी कंपनी में फाउंडिंग मेंबर हैं. फिलहाल ईएफ पॉलीमर में 35 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं.”
अंकित किसान तक को विस्तार से बताते हैं कि फसल अमृत फलों और कुछ सब्जियों से कचरे यानी छिलके और कुछ कैमिकल मिक्स से बनाया गया है. मिट्टी में मिल जाने के बाद यह पौधे की जड़ के चारों ओर एक इलास्टिक की तरह घेरा बना लेता है. इसमें पानी जमा होता रहता है. या यूं कहें पानी को सोख लेता है.
ये भी पढ़ें- Kharif Sowing Part-1: राजस्थान में दोगुनी हुई बाजरे की बुवाई, लेकिन पिछले साल से कम है लक्ष्य
फिर धीरे-धीरे यह पौधे की जड़ के लिए पानी डिस्चार्ज करता रहता है. इससे किसानों की किसी भी फसल के लिए पानी की खपत कम हो जाती है. उदाहरण के लिए अगर गेहूं की फसल में पकाव तक पांच बार सिंचाई की जरूरत होती है तो फसल अमृत के इस्तेमाल से सिर्फ तीन बार ही सिंचाई की जरूरत पड़ेगी. इससे किसान की कम से कम 40 प्रतिशत पानी की खपत कम हो जाती है.
पाउडर फॉर्म में पैक किए फसल अमृत के एक किलो पैकेट का मूल्य 300 रुपये है. एक एकड़ में करीब 5 किलो पाउडर की जरूरत होती है. इस तरह एक एकड़ में 1500 रुपये का खर्चा आता है. कीमत ज्यादा होने के सवाल पर अंकित कहते हैं, “कीमत थोड़ी ज्यादा तो है, लेकिन यह बाकी खर्चों को भी कम करता है. इस तरह अगर एक एकड़ में होने वाले कुल खर्चों की बात करेंगे तो फसल अमृत का उपयोग उसे घटाता है.
इससे पानी की खपत कम होती है. इससे किसानों की लेबर कॉस्ट कम होती है. साथ ही समय भी बचता है और उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है. किसानों का कहना है कि 1500 रुपये के खर्चे से हमें 35-40 हजार रुपये प्रति एकड़ का फायदा हुआ है. खेतों के अलावा इसे किचन गार्डन, नर्सरी या कहीं भी, किसी भी पौधे में उपयोग लिया जा सकता है.”
ये भी पढ़ें- किसान के पास किसान तकः मिलिए पूरी तरह ऑर्गेनिक आम उगाने वाले किसान बाबूलाल से
अंकित जोड़ते हैं कि आज भारत सहित ईएफ पॉलीमर के 10 से अधिक देशों में हजारों ग्राहक हैं. देश में हम 20 हजार से ज्यादा किसानों तक पहुंच चुके है. हमारे प्रोडक्ट को देखकर राजस्थान सरकार ने भी हमें 50 लाख रुपये का ऑर्डर दिया है. इसे उपयोग में लेना बेहद आसान है. फसल अमृत के पाउडर को जुताई से पहले खेत की मिट्टी में छिड़कना होता है.
फसल अमृत को कहां से खरीदा जा सकता है? इसके जवाब में अंकित कहते हैं कि हमारी वेबसाइट ईएफपॉलीमर. इन पर जा सकते हैं. इसके अलावा ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी फसल अमृत उपलब्ध है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today