Rose Farming: गुलाब की खेती से चमकी किसान की किस्‍मत, लाखों रुपये का हो रहा मुनाफा

Rose Farming: गुलाब की खेती से चमकी किसान की किस्‍मत, लाखों रुपये का हो रहा मुनाफा

राजस्‍थान के झालावाड़ जिले का एक किसान गुलाब की देसी किस्‍म की खेती कर लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहा है. किसान का कहना है कि पहले यहां कोटा और अन्‍य जगहों से फूल आते थे, लेकिन अब स्‍थानीय क‍िसानों के उगाए गुलाब से ही डिमांड पूरी हो जा रही है. पढ़‍िए किसान की सफलता की कहानी...

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Rose Farming: गुलाब की खेती से चमकी किसान की किस्‍मत, लाखों रुपये का हो रहा मुनाफागंगानगरी गुलाब की खेती. (सांकेत‍िक तस्‍वीर)

राजस्‍थान का जिला झालावाड़ धर्मनगरी के रूप में पहचाना जाता है. यहां बहुत से मंदिर, दरगाह आदि हैं, जिससे फूलों की अच्‍छी खासी डिमांड रहती है. इसी मौके का फायदा उठाते हुए झालावाड़ शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर रहने वाले मानपुर गांव के किसान शंकरलाल ने 1 बीघा जमीन पर गंगानगरी गुलाब की खेती शुरू की और अब उनका सालाना मुनाफा लाखों रुपये में पहुंच गया है. शंकरलाल ने बताया कि अन्‍य फसलों के मुकाबले उन्‍हें गुलाब की इस देसी किस्‍म से अच्‍छा फायदा हो रहा है, क्‍योंकि यह अन्‍य किस्‍मों से बेहतर क्‍वालिटी वाली देसी किस्‍म है. अब उनकी सालाना आय लाखों में पहुंच गई है.

मात्र 50 हजार रुपये की लागत आई

‘दैन‍िक भास्‍कर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान शंकरलाल ने बताया कि पहले झालावाड़ में कोटा से गुलाब के फूल की आवक होती थी, लेकिन अब जिले में ही खेती होने से क्षेत्र की फूलों की मांग पूरी हो जाती है. शकंरलाल ने बताया कि एक बीघा जमीन पर गंगानगरी गुलाब की खेती में एक बार 50 हजार रुपये का खर्च आया था. लेकिन, त्योहारों और खास मौकों पर गुलाब की डिमांड 10 गुना तक बढ़ जाती है और कीमतों में भी कई गुना वृद्धि हो जाती है. सीजन में मांग अच्‍छी रहने से कई बार प्रोफिट भी 10 गुना तक पहुंच जाता है.

30 किलो गुलाब का रोजाना उत्‍पादन

शंकरलाल ने बताया कि उनके पास खेती के लिए ज्‍यादा जमीन नहीं है. इसलिए जब उन्‍हें पारंपरि‍क फसलों से ज्‍यादा मुनाफा नहीं हो रहा था. इसलिए गुलाब की खेती की ओर रुख किया. अब उनके खेत में रोजाना 30 किलो गुलाब के फूलों का उत्पादन हो रहा है. मंडी में उनके फूल हाथोंहाथ बिक जाते हैं और कई बार एडवांस बुकिंग भी हो जाती है.

त्‍योहारी सीजन में 10 गुना तक मुनाफा

शंकरलाल ने बताया कि उन्‍होंने रिश्तेदार के कहने पर फूलों की खेती शुरू की और उनके कहने पर ही गुलाब की गंगानगरी किस्‍म की खेती शुरू की. होली, दीपावली, सावन माह और अन्‍य त्‍योहारी दिनों में फूलों ज्‍यादा मांग के कारण कीमतें बढ़ने से मुनाफा 10 गुना तक बढ़ जाता है. उनका पूरा परि‍वार भी खेती में हाथ बंटाता है और रोज सुबह फूल तोड़े जाते हैं. तुड़ाई के बाद फूलों की गठरी बनाकर मंडी भेजी जाती हैं, जिसे फूल माला बनाकर बेचेने वाले और फूल विक्रेता खरीदते हैं.

एक महीने में फूल देना शुरू कर देता है पौधा

किसान शंकरलाल बताते हैं कि 15 साल पहले भी उन्‍होंने गुलाब की कोई सामान्‍य देसी किस्‍म की खेती की थी, लेकिन तब मुनाफा अच्‍छा नहीं हुआ और उन्‍होंने फूल की खेती छोड़ दी थी, क्‍योंकि उस समय उनकी देसी क्वालिटी का गुलाब कोटा और दूसरे शहरों से आने वाली अच्छी क्वालिटी के गुलाब के सामने बिक नहीं पाता था. बाद में रिश्‍तेदार की सलाह पर गंगानगरी गुलाब की खेती शुरू की और भरपूर फायदा हो रहा है. 

किसान शंकरलाल के मुताबिक, गंगानगरी गुलाब का एक पौधा लगभग आठ महीने तक फूल का उत्‍पादन देने में सक्षम है. 8 महीने के बाद इसका उत्‍पादन घट  जाता है पौधे में रोग लग जाता है. इसलिए पुराने पौधे को हटाकर नया पौधा लगा दिया जाता है. यह चक्र चलता रहता है. खास बात यह है कि इस किस्‍म का गुलाब 1 महीने बाद ही फूल देना शुरू कर देता है और इसकी क्‍वालिटी बाकी देसी किस्‍मों से तो अच्‍छी रहती ही है. 

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