
गरीब की गाय कही जाने वाली बकरी आज कई लोगों की जीविकोपार्जन का माध्यम बनी हुई है. मगर आज भी कई राज्यों में संपन्न परिवार के लोग बकरी व्यवसाय को बेहतर नहीं मानते हैं. उसके बावजूद भी कई ऐसे युवा किसान हैं, जो परंपरागत सोच को दरकिनार करते हुए बकरी पालन कर रहे हैं. कैमूर निवासी 43 वर्षीय मनीष कुमार सिंह भी इनमें से एक हैं, जो पिछले एक साल से बकरी पालन कर रहे हैं. बीएसी की पढ़ाई पूरी कर चुके मनीष बताते हैं कि दो व्यवसाय में घाटा सहने के बाद उन्होंने बकरी पालन को चुना है, जो आज उनके लिए फायदे का सौदा बना हुआ है. मसलन उन्होंने बकरी पालन से लखपती बनने तक का सफर तय किया है.
कैमूर में बकरी पालन कर रहे मनीष कुमर बताते हैं कि बकरी पालन मेरे पिछले दो व्यवसाय से बढ़िया है. उन्होंने बताया कि इसमें घाटा लगने की संभावना कम है. यह कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय है. पांच बकरियों से व्यवसाय शुरू करने वाले मनीष के पास 30 के आसपास बकरी हैं. इसके साथ ही अब तक 8 बकरी 56 हजार रुपए में बेच चुके हैं. कैमूर जिले के रामगढ़ प्रखंड अंतर्गत आने वाले लछनपुरा गांव के रहनेवाले मनीष कुमार सिंह बताते हैं कि वे अपने घर के आगे आधा बीघा में बकरी पालन करते हैं. इस व्यवसाय में आने से पहले वे मशरूम की खेती करते थे. लेकिन कोरोना के समय देश व विदेशों में मशरूम नहीं जाने से व्यवसाय चौपट हो गया. इससे इस कदर घाटा लगा कि उन्हें वह जमीन बेचनी पड़ी. जिसके दम पर ये अपना भविष्य बेहतर करना चाहते थे.
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मनीष कुमार ने 'किसान तक' के साथ बातचीत में बताया कि पिछले दो व्यवसाय में लगे घाटे ने आर्थिक रूप से इतना कमजोर कर दिया कि घर की जमीन बेचकर लोगों का कर्ज चुकाना पड़ा. आगे वे कहते हैं कि कौशल विकास योजना के तहत सेंटर चलाने के दौरान करीब 25 से 30 लाख रुपए तक घाटा लग गया. वहीं मशरूम की खेती में भी नुकसान हुआ. उसके बाद जब बकरी पालन करने को लेकर परिवार वाले से बात की तो उन्होंने ने बकरी पालन का विरोध किया. यहां तक बातचीत भी बंद कर दिया गया, लेकिन रोजगार का कोई दूसरा रास्ते नहीं होने के कारण और परिवार का खर्च चलाने के लिए सभी के विरुद्ध जाकर उन्होंने बकरी पालन शुरू किया.
मनीष कुमार कहते हैं कि उन्होंने बकरी पालन का व्यवसाय मात्र 20 हजार रुपये से शुरू किया और उस दौरान ब्लैक बंगाल ब्रीड की की करीब 5 बकरियां खरीदी.उन्होंने बताया कि हाल के समय में उनके पास 28 से 30 बकरी हैं और अभी तक 8 बकरी करीब 56 हजार रुपए में बेच चुके है. उन्होंने कहा कि यानी हिसाब लगाया जाए तो एक से दो साल के अंदर उनके पास 200 से अधिक बकरी हो जाएंगी और आसानी से करीब महीने का लाख रुपए तक की कमाई होती रहेगी. आगे युवा किसान मनीष कहते हैं कि आज बकरी की संख्या बढ़ाने के लिए अलग से पैसा लगाने की जरूरत नहीं पड़ रही है. क्योंकि जितनी बकरी मेरे पास है उनमें से कोई न कोई हर महीने बच्चा दे रही हैं. इसके साथ ही 7 से आठ हजार रुपए में एक बकरी या बकरा महीने में बिक जाता है.
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मनीष कहते हैं कि उन्होंने बकरी पालन करने से पहले कैमूर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में जाकर प्रशिक्षण लिया है. इसका फायदा ये हुआ है कि बकरी के स्वास्थ्य में जब भी कोई बदलाव दिखता है. तो उसका इलाज घर पर ही कर देते हैं. इसके साथ ही समय से टीका सहित उनके भोजन सभी का ध्यान रखते है. वहीं छोटी-छोटी बातों के लिए डॉक्टर नहीं बुलवाना पड़ता है. वरना जब भी डॉक्टर आएगा. उसे एक हजार या 500 रुपये देना पड़ता है. प्रशिक्षण लेने से लाभ मिला है.
आज के समय में मनीष कुमार जैसे कई युवा पढ़ाई करने के बाद नौकरी या अन्य व्यवसाय में बेहतर विकल्प नहीं मिलने से किस्मत को दोषी नहीं मान रहे हैं. बल्कि पिछले काम से सीखते हुए गांव में आकर बकरी पालन ,मत्स्य पालन,सहित अन्य व्यवसाय के जरिए अपनी एक अलग पहचान बना रहे हैं.
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