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प्राइवेट नौकरी छोड़ किसान कमा रहा लाखों रुपए, दूसरों को दे रहा रोजगार

प्राइवेट नौकरी छोड़ किसान कमा रहा लाखों रुपए, दूसरों को दे रहा रोजगार

प्रगृतिशील किसान बलविंद्र सिंह ने प्राइवेट नौकरी छोड़कर मशरूम की खेती शुरू की, जिसके बेहतर परिणाम देखते ही किसान ने आगे इसकी खेती करना शुरू की. अब किसान मात्र डेढ़ एकड़ खेती से लाखों रुपए कमा रहा हैं. इसके साथ-साथ किसान बलविंद्र दूसरों को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहा है.    

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किसान को मशरूम की खेती से हो रहा है अच्छा मुनाफा किसान को मशरूम की खेती से हो रहा है अच्छा मुनाफा

देश के लाखों लोग एक ओर जहां रोजगार की तलाश में रहते हैं, वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जो खेती-किसानी से जुड़कर न सिर्फ अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि आसपास के लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हरियाणा के करनाल जिले रहने वाले किसान बलविंद्र सिंह ने. प्रगृतिशील किसान ने प्राइवेट नौकरी छोड़कर मशरूम की खेती शुरू की, जिसके बेहतर परिणाम आने लगे जिसके बाद किसान ने आगे मशरूम खेती ही करने सोचा. किसान बलविंद्र अब मात्र डेढ़ एकड़ से लाखों रुपए कमा रहा हैं. इसके साथ-साथ किसान बलविंद्र दूसरों को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहा है.    

किसान की माने तो करीब 20 लोगों को नौकरी पर रखा गया है, जैसे-जैसे मशरूम की खेती का दायरा बढ़ रहा है. उसी अनुपात में नौकरी के अवसर बढ़ रहे है. प्रगृतिशील किसान आसपास के गांवों के उन युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए है, जो लोग गांवों से दूर रहकर कम सेलरी में प्राइवेट नौकरी कर रहे है. ऐसे युवाओं के लिए किसान बलविंद्र एक आशा की किरण बनकर उभरे है, युवा लोग अब बलविंद्र को देखकर अपना व्यवसाय और बागवानी खेती की ओर रूख करने का मन बना रहे हैं. 

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किसान ने क्या कहा ? 

प्रगृतिशील किसान बलविंद्र ने बताया कि वह एक बड़े होटल में प्राइवेट नौकरी कर रहा था, उसे लगा कि नौकरी के साथ कोई दूसरा काम किया जाना चाहिए इसके चलते बलविंद्र ने काम खोजे जिसमे से उसे मशरूम का काम काफी अच्छा लगा, बलविंद्र ने बताया कि क्योंकि मशरूम की खेती में भविष्य के लिए रोजगार ओर आर्थिक लाभ काफी ज्यादा दिख रहा है, इसी को ध्यान में रखकर मशरूम की खेती शुरू की.   

बलविंद्र  पहले कच्चे शैड लगाए, जिनमें कम खर्च लेकिर मुनाफा ज्यादा होता है. इसके बाद पक्के शैड लगाए, जिनमें बिजली खर्च ज्यादा होता है. उन्होंने कहा कि पक्के शैड लगाने पर सरकार की ओर से उन्हें करीब 40 प्रतिशत सब्सिडी मिली थी. सब्जियों के शेड में भी ज्यादा मुनाफा आता है. मशरूम की खेती के लिए उनके पास करीब 20 लोग काम करते है. परपंरागत खेती में जैसे गेहूं ओर धान में किसानों को ज्यादा लाभ नहीं मिलता. अगर मशरूम की खेती सही तरीके से की जाए तो लागत से दोगुना मुनाफा होता है.

कितना हुआ खर्च

बलविंद्र ने बताया कि डेढ़ एकड़ में काम किया, एक बैच की बात करें तो करीब डेढ़ लाख रुपए का खर्च आता है. एक रूम से 3 से साढ़े 3 लाख रुपए तक की मशरूम निकल आती है. उन्होंने कहा कि सब कुछ मार्केट रेट पर निर्भर करता है. शुरूआत में मशरूम को बेचने में दिक्कत आती थी, लेकिन धीरे-धीरे मार्केट बन गई, आपस में लिंक बनते चले गए. जम्मू कश्मीर में हम लोग मशरूम भेजते है,जहां पर रेट सही मिल जाते है. मशरूम की खेती के एक माह बाद ही मशरूम का उत्पादन शुरू हो जाता है. उन्हें मशरूम की खेती करते हुए करीब 6 साल हो गए,उन्होंने किसानों से अपील कि वे परपंरागत खेती छोड़कर मशरूम की खेती करें, मशरूम का उत्पादन बढ़ाए. क्योंकि मशरूम स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, डॉक्टर भी मशरूम को भोजन में शामिल करने की सलाह देते है.

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