पिता-पुत्र की जोड़ी का कमाल...खेतों में बना द‍िया 'फलों का जंगल'

पिता-पुत्र की जोड़ी का कमाल...खेतों में बना द‍िया 'फलों का जंगल'

उत्तर प्रदेश में शामली के गांव नागल के निवासी पिता-पुत्र की जोड़ी ने अपने खेतों में फ्रूट फॉरेस्ट बनाया है. युवा किसान अभय रोड अपने पिता श्याम सिंह रोड के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती के साथ इस मॉडल को तैयार किया है.

Advertisement
पिता-पुत्र की जोड़ी का कमाल...खेतों में बना द‍िया 'फलों का जंगल'पिता-बेटे ने मिलकर अपने खेतों को बनाया फलों का जंगल

उत्तर प्रदेश में शामली के गांव नागल निवासी पिता-पुत्र की जोड़ी ने कमाल कर द‍िखाया है. प‍िता-पुत्र की जोड़ी ने अपने खेतों में फ्रूट फॉरेस्ट यानी फलों का जंगल बनाया है. युवा किसान अभय रोड  ने अपने पिता श्याम सिंह रोड के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती के साथ इस मॉडल को तैयार किया है. इस फार्म को उन्होंने भूमि नेचुरल फॉर्म का नाम दिया है और यहां करीब 30 से अधिक किस्म के फलों के पौधे लगाए हैं, साथ ही यहां अन्य फसलें जैसे गेहूं, सरसों, गन्ना की भी खेती भी बिना रसायनों यानी प्राकृतिक तरीके से हो रही है. 
किसान तक से बातचीत में अभय रोड ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि वो पढ़ाई के सिलसिले से देश की राजधानी दिल्ली में रहा करते थे और अक्सर बीमार रहने लगे. वहीं उन्हें बचपन से ही खेल में रूची रही है और वो मार्शल आर्ट में ब्लैक बैल्ट भी हासिल कर चुके हैं और जब वो अपने गांव में रहते थे तो उन्हें इस तरह की समस्या से कभी जूझना नहीं पड़ा.

ये भी पढ़ें- Baisakhi 2023: जब सोना उगलती है मिट्टी, जानें क्या है पूरी कहानी

पढ़ाई के बाद किया गांव का रुख

अभय ने बताया कि जब वो शहर में अक्सर बीमार रहने लगे तो उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने बाद अपने गांव वापस ही लौटना बेहतर समझा. गांव लौटकर उन्होंने अपने पिता के साथ ही खेती-किसानी में शुरू की. 

परिवार में हुईं कैंसर से मौत

अभय ने बताया कि उनके परिवार के कुछ लोगों ने कैंसर की गंभीर बीमारी का सामना किया और यहीं कारण था कि पिता-पुत्र ने मिलकर विषमुक्त खेती करने का मन बनाया. फिर देखते ही देखते उन्होंने अपने खेतों में प्रकृतिक खेती की शुरूआत की और आज करीब 20 एकड में वो फ्रूट फॉरेस्ट के साथ कई फसलों और औषधिय पौधों की भी खेती कर रहे हैं.

प्रोसेस करके बेचते हैं उत्पाद

अभय बताते हैं कि उनके खेत में उगने वाले उत्पादों को वो प्रोसेस करके अपने ग्राहकों तक पहुंचाते हैं, ज‍िसमें वे दाल, चावल और नींबू का आचार लोगों तक पहुंचा रहे हैं. उन्होंने बताया क‍ि सभी उत्पादों को प्राकृतिक तरीके से उगाया जाता है, और किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं की जाती है. अभय डिजिटल मीडिया का सही उपयोग करते हुए ग्राहकों के संपर्क में रहते हैं और ऑनलाइन ऑर्डर लेते हैं.
साथ ही वो समय समय पर अपने फार्म में होनी वाली अन्य फसलों की फोटो, वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा करते रहते हैं जो कि लोगों को खूब पसंद आती है. अभय कहते हैं कि सोशल मीडिया के सही उपयोग से भी किसान सीधा ग्राहक से जुड़ सकता है और अपने उत्पाद का सही मूल्य भी प्राप्त कर सकता है.

ये भी पढ़ें- Startup: संस्कृत साहित्य पढ़कर बना दी लस्सी, किया सैंकड़ों साल पुराने स्वाद का दावा

ये भी पढ़ें- Alert! कहीं आप भी तो नहीं खा गए PM किसान ट्रैक्टर योजना से धोखा, ऐसे रहें सावधान

 

POST A COMMENT