यूपी सरकार ने ऑनलाइन ग्रामीण शिक्षा के लिए जो कार्यक्रम शुरू किया है, उसे ‘पहल’ नाम दिया गया है. माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा आईआईटी कानपुर के सहयोग से तैयार किए गए प्रोग्राम 'पहल' का आगाज किया जा चुका है. यूपी के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने पायलट प्रोजेक्ट के अंतिम चरण में यह कार्यक्रम प्रदेश के 10 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों से शुरू किया है. इसमें बच्चों को शुरुआती दौर में विज्ञान और गणित विषयों की निःशुल्क ऑनलाइन शिक्षा दी जाएगी.
मिश्र ने हाल ही में लखनऊ स्थित राजकीय यूपी सैनिक इंटर कॉलेज से ग्रामीण इलाकों में ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े ‘पहल’ कार्यक्रम की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि 10 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों से शुरू हो रहे 'पहल' कार्यक्रम के दायरे में जल्द ही सभी 40 हजार माध्यमिक स्कूल आ जाएंगे.
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कोविड की महामारी के दौर में स्कूली शिक्षा को ऑनलाइन माध्यम से सुचारू बनाया गया था. यह प्रयोग सिर्फ शहरी इलाकों में ही हो सका था. ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की पुख्ता सुविधा नहीं होने के कारण गांव के स्कूलों में पढ़ाई लंबे समय तक ठप रही थी.
मिश्र ने बताया कि अब प्रदेश की अधिकांश ग्राम पंचायतें डिजिटल माध्यमों से जुड़ गई हैं, इसलिए स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई की 'पहल' को आसानी से कामयाब बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में देश को नई शिक्षा नीति मिलने के बाद शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है. ग्रामीण इलाकों में ऑनलाइन पढ़ाई हो पाना इसी का नतीजा है.
मुख्य सचिव मिश्र ने कहा कि स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने से पहले नई शिक्षा नीति के तहत अत्याधुनिक तकनीक के प्रयोग पर जोर दिया गया है. जिससे 'पहल' प्रोग्राम के लिए ढांचागत सुविधाएं जुटाई गई. इसमें ‘निपुण’ कार्यक्रम के माध्यम से प्राइमरी स्कूल की तस्वीर बदल गई है. प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को अध्यापकों द्वारा प्रयोगों पर आधारित 'व्यवहारिक शिक्षा' दी जा रही है, जिससे अब बच्चे रटने के स्थान पर विषय को समझ कर पढ़ते हैं.
उन्होंने कहा कि इसी तरह 'कायाकल्य' कार्यक्रम के तहत सभी प्राइमरी विद्यालयों में प्राइवेट स्कूल की भांति 'स्मार्ट' सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं. इसके फलस्वरूप सभी प्राइमरी स्कूल अब स्मार्ट क्लास में स्मार्ट बोर्ड आदि से लैस हैं. इसी प्रकार मिशन अलंकार के माध्यम से इंटरमीडिएट कॉलेजों का कायाकल्य हो रहा है.
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मिश्र ने बताया कि आईआईटी कानपुर ने 'ऑनलाइन रूरल एजुकेशन इनिशिएटिव' (ओआरईआई) कार्यक्रम के तहत यह मॉड्यूल तैयार किया है. यह ग्रामीण इलाकों में कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों को विज्ञान और गणित की ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा मुहैया कराता है.
उन्होंने बताया कि आईआईटी कानपुर के बीटेक के छात्रों के एक समूह ने इसका सफल पायलट प्रोजेक्ट साल 2018 में कानपुर जिले के एक गांव में चलाया था. इसके बाद इसका सफल ट्रायल कानपुर में बिठूर स्थित श्री राम जानकी इंटर कॉलेज और लखनऊ के महोना में स्थित भारतीय ग्रामीण विद्यालय में पूरा किया गया. अब यह प्रदेश के 10 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में ग्रामीण विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षण की सुविधा मुहैया कराएगा.
उन्होंने बताया कि पहल प्रोग्राम का मकसद आईआईटी कानपुर के वालेन्टियर्स द्वारा प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों काे विज्ञान तथा गणित की विश्व स्तरीय पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराना है.
मिश्र ने बताया कि 'पहल' प्रोग्राम के तहत बच्चे ऑनलाइन क्लास में शामिल हो सकेंगे. इसमें विद्यार्थी इंटरएक्टिव माध्यम से टीचर से अपने मन की जिज्ञासा या सवाल पूछ सकेंगे. उन्होंने कहा कि यू-ट्यूब चैनल पर भी ये क्लास उपलब्ध रहेंगी, जिसे विद्यार्थी अवकाश के समय भी देख कर पढ़ सकेंगे.
उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑनलाइन क्लास में हिन्दी मीडियम में पढ़ाई होगी. अब 'पहल' प्रोग्राम को देखते हुए ग्रामीण स्कूलों में ऑनलाइन क्लास को शामिल करते हुये समय सारणी तैयार की जा रही है. जिससे इन स्कूलों के ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी 'पहल' कार्यक्रम का लाभ उठा सकें.
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