हरियाणा में पराली अब समस्या नहीं बनेगी. इसको लेकर हरियाणा सरकार ने काम शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में हरियाणा के कृषि तथा किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने फसल अवशेष प्रबंधन उपकरण (क्रॉप वेस्ट मैनेजमेंट मशीन) के 15 सेट की चाबियां किसानों को वितरित की है. कृषि विभाग तथा स्थानीय प्रशासन के प्रयास से फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन को लेकर डेलॉयट इंडिया कम्पनी द्वारा ये कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस योजना के तहत करीब 8 करोड़ रुपये की लागत से 75 उपकरण किसानों को उपलब्ध करवाए गए हैं. ये उपकरण फसलों के अवशेष को जलाने की बजाय उसका उचित निस्तारण करने का काम करेंगे.
पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से यह कदम बहुत ही महत्वपूर्ण है. डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि स्थानीय प्रशासन का यह सराहनीय प्रयास है. अगर यह प्रक्रिया सफल रही तो इस मॉडल को प्रदेश के अन्य जिलों में भी लागू करवाया जाएगा ताकि पराली जलाने की घटनाओं को रोका जा सके. मालूम हो कि हर साल फसल कटाई के बाद पराली जलाने से स्मॉग और प्रदूषण की भीषण समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में यह प्रयास हरित हरियाणा की राह पर एक बड़ा कदम है.
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धान की कटाई के बाद पराली की समस्या से किसान, सरकार और यहां तक कि आम जनता भी परेशान है. प्रदूषण का स्तर इस हद तक बिगड़ जाता है कि लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. ऐसे में यह पूरा मामला राज्य और केंद्र सरकार के इर्द-गिर्द घूमता है कि आखिरकार सरकार इस समस्या से निजात पाने में कामयाब होगी. पिछले साल की बात करें तो पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ते रहे. जिससे दिल्ली समेत अन्य राज्यों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया था.
पराली जलाने की समस्या को कम करने के लिए केंद्र के साथ ही राज्य सरकार काम कर रही है. इसी कड़ी में पूसा की तरफ से भी डी कंपोजर बनाया गया है, जिसके छिड़काव से पराली को खाद में बदला जा सकता है. वहीं हरियाणा समेत कई राज्यों ने पराली की खरीद भी शुरू की है. जिसके बाद पराली का प्रयोग ईंधन बनाने के लिए किया जा रहा है. वहीं केंद्र सरकार ने पराली मैनेजमेंट मशीन की खरीद पर सब्सिडी भी दे सकती है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, वेस्टर्न यूपी और दिल्ली के किसानों को 50 से अधिक फीसदी की सब्सिडी पर हैप्पी सीडर जैसी मशीनें दी जा रही हैं.
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