कृषि क्षेत्र में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई सारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं. इन्हीं में से एक योजना प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME scheme) है. इस योजना के तहत किसानों के द्वारा उपक्रम के अलावा अपने उत्पाद की ब्रांडिंग और पैकेजिंग के लिए भी ऋण दिया जाता है. वही किसानों को निर्धारित अनुदान भी दिया जाता है. इस योजना के तहत किसानों को ₹10 लाख तक का अनुदान दिया जाता है. इस योजना की शुरुआत वित्तीय वर्ष 2020-21 में हुई. वहीं इसका सबसे ज्यादा लाभ पूर्वांचल के 3 मंडलों के 6 जिलों के लोगों को मिला है. अभी तक पूर्वांचल के 891 किसानों को इस योजना का लाभ मिल चुका है जिनसे उनकी आय में इजाफा ही नहीं हुआ है बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं.
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना को 2020-21 में चालू किया गया है. कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण देश में लगे अधिकतर उद्योग रुक गए जिसकी वजह से उद्योग एवं राजस्व की प्रगति पर भारी असर पड़ा. यह योजना केंद्र सरकार के द्वारा 5 सालों के लिए चलाई गई है. इस योजना के माध्यम से देश के सभी छोटे एवं लघु खाद्य उद्योग के राजस्व में प्रगति लाई जाएगी. इस योजना के माध्यम से देश के छोटे एवं लघु खाद्य उद्योगों के राजस्व में प्रगति लाने के उद्देश्य से उद्यमियों को सब्सिडी के रूप में सरकार के द्वारा वित्तीय अनुदान दिया जा रहा है. इस योजना के माध्यम से देश के छोटे एवं लघु व्यवसाय करने वाले उद्यमियों को लाभ हो रहा है. वहीं आर्थिक सहायता के साथ ही सरकार कौशल प्रशिक्षण एवं प्रशासनिक सहायता के अतिरिक्त एमआईएस योजना के प्रचार प्रसार की सुविधा भी प्रदान कर रही है. इस योजना के अंतर्गत आने वाले वित्तीय खर्च का 60 परसेंट राज्य सरकार तथा 40 प्रतिशत केंद्र सरकार के द्वारा वहन किया जा रहा है. इस योजना के माध्यम से हर परिवार के एक व्यक्ति को ही लाभ मिल सकेगा
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पूर्वांचल के 10 जिलों में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का संचालन सफलतापूर्वक किया जा रहा है. इस योजना के तहत 2087 किसानों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है. अब तक 891 किसानों को इसका लाभ मिल चुका है. मिर्जापुर एकमात्र ऐसा जिला है जहां 230 किसानों को इस योजना का सर्वाधिक लाभ मिला है. वहीं वाराणसी के 184 किसानों को लाभ मिला है.
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का लाभ पाने वाले लाभार्थी को भारत का स्थाई निवासी होना चाहिए. उसकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए. लाभार्थी को आठवीं कक्षा में पास होना चाहिए. वहीं एक परिवार से एक व्यक्ति ही इस योजना का लाभ पाने के लिए पात्र होगा. आवेदक को पंजीकरण करवाने के लिए खतौनी, आधार कार्ड, बैंक की पासबुक की छायाप्रति की जरूरत होगी. आवेदक पंजीकरण फार्म को भरकर जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय में जमा करना होगा.
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