फसलों का MSP तय करने वाली इस योजना में बड़ा फेरबदल, सरकार ने अब खत्म की निजी क्षेत्र की भागीदारी

फसलों का MSP तय करने वाली इस योजना में बड़ा फेरबदल, सरकार ने अब खत्म की निजी क्षेत्र की भागीदारी

कृषि मंत्री ने कहा कि कुल मिलाकर चावल का उत्पादन पिछले साल से बेहतर होगा. नवंबर के आसपास काटे जाने वाले खरीफ धान का भारत के कुल उत्पादन में लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा होता है. सरकार के तीसरे अनुमान के अनुसार, 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में खरीफ चावल का उत्पादन 114.36 मिलियन टन रहा.

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फसलों का MSP तय करने वाली इस योजना में बड़ा फेरबदल, सरकार ने अब खत्म की निजी क्षेत्र की भागीदारी साल 2018 में प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) शुरू होने के बाद कुछ समय के लिए पीपीएसएस को पायलट आधार पर चलाया गया था.

केंद्र सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करने के लिए पीएम-आशा की प्रमुख योजना में फेरबदल किया है. उसने अनाज खरीद में निजी क्षेत्र की भागीदारी की अनुमति देने वाली उप-योजना को बंद कर दिया है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को कहा कि पीपीएसएस (निजी खरीद और स्टॉकिस्ट योजना) जो पहले पीएम-आशा के तहत पेश किए जाने वाले कार्यक्रमों का हिस्सा थी, उसे खत्म कर दिया गया है. क्योंकि इसमें निजी कंपनियों की ज्यादा भागीदारी नहीं थी.

दरअसल कृषि मंत्री, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के मौके पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों से बात कर रहे थे. उनके मुताबिक, साल 2018 में प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) शुरू होने के बाद कुछ समय के लिए पीपीएसएस को पायलट आधार पर चलाया गया था. हालांकि, निजी खिलाड़ियों की ज्यादा भागीदारी नहीं थी, क्योंकि कंपनियों को लगा कि कीमतों में बड़ी गिरावट की स्थिति में पारिश्रमिक पर 15 प्रतिशत की सीमा बहुत कम है.

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जीएम फसलों पर कब लिया जाएगा फैसला

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, चौहान ने यह भी घोषणा की कि अगले महीने से वह हर मंगलवार को देशभर के किसानों और उनका प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों से मिलेंगे और उनकी शिकायतें सुनेंगे. साथ ही उनका समाधान भी करेंगे. मंत्री ने यह भी कहा कि जीएम फसलों पर कोई भी निर्णय तब तक नहीं लिया जाएगा जब तक कि इस पर राष्ट्रीय सहमति न बन जाए, क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दा है.

कुछ इलाकों में भारी बारिश से नुकसान

वहीं, देर से हुई बारिश के कारण खड़ी खरीफ फसलों पर पड़ने वाले प्रभाव पर चौहान ने कहा कि देश का खरीफ (ग्रीष्म) चावल उत्पादन पिछले साल के स्तर को पार करने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि अच्छी बारिश की बदौलत चावल की बुवाई बहुत अच्छी हुई है. उनके मुताबिक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे कुछ इलाकों में भारी बारिश से नुकसान हुआ है, लेकिन इससे उत्पादन में कमी नहीं आएगी.

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41 मिलियन हेक्टेयर में धान की बुवाई

कृषि मंत्री ने कहा कि कुल मिलाकर चावल का उत्पादन पिछले साल से बेहतर होगा. नवंबर के आसपास काटे जाने वाले खरीफ धान का भारत के कुल उत्पादन में लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा होता है. सरकार के तीसरे अनुमान के अनुसार, 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में खरीफ चावल का उत्पादन 114.36 मिलियन टन रहा. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पिछले सप्ताह तक कुल चावल का रकबा 1.64 मिलियन हेक्टेयर बढ़कर 41 मिलियन हेक्टेयर हो गया है. 


 

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