केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सहकारिता ही एकमात्र ऐसा आंदोलन है जिसके माध्यम से हर व्यक्ति को समृद्ध बनाया जा सकता है. पैक्स के मॉडल बायलॉज बनाए गए हैं जिन्हें 26 राज्यों ने स्वीकार कर लिया है. अब पैक्स डेयरी भी बन पाएंगे. मछुआरा समिति के रूप में भी काम कर सकेंगे. पेट्रोल पंप और गैस की एजेंसी भी चला सकेंगे. पैक्स कस्टमर सर्विस सेंटर भी बन पाएंगे, सस्ती दवाई और सस्ते अनाज की दुकान भी चला सकेंगे. यही नहीं अब ये अनाज भंडारण का भी काम करेंगे. ऐसा कर मोदी सरकार ने 22 अलग-अलग कामों को पैक्स के साथ जोड़ने का निर्णय लिया है.
शाह शुक्रवार को नई दिल्ली में सहकारिता क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठन (FPO) विषय पर राष्ट्रीय महासंगोष्ठी-2023 की शुरुआत कर रहे थे. उन्होंने प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसायटिज (PACS) द्वारा 1100 नए एफपीओ के गठन की कार्य योजना का विमोचन किया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पैक्स से बने एफपीओ के माध्यम से किसानों के लिए उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक की पूरी व्यवस्था की है. किसानों को समृद्ध बनाने की सबसे अधिक क्षमता पैक्स के माध्यम से बने एफपीओ में है. पैक्स, एफपीओ और सेल्फ हेल्प ग्रुप के रूप में तीन सूत्रीय ग्रामीण विकास समृद्धि का मंत्र लेकर कृषि और सहकारिता मंत्रालय मिलकर काम करेंगे.
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सहकारिता आंदोलन बिना पूंजी वाले लोगों को समृद्ध बनाने का बहुत बड़ा साधन बन सकता है. सहकारिता के माध्यम से अगर हम कृषि, पशुपालन और मत्स्यपालन को मज़बूत करते हैं तो जीडीपी के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. कृषि, पशुपालन और मत्स्यपालन-आधारित आर्थिक गतिविधियां भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, ये तीनों मिलकर भारत की जीडीपी का 18 फीसदी हिस्सा बनाते हैं. इसलिए इन्हें मज़बूत करने का मतलब देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में धान की एमएसपी 55 फीसदी और गेहूं की एमएसपी में 51 फीसदी की वृद्धि हुई है. आजादी के बाद मोदी सरकार पहली ऐसी सरकार है जिसने किसानों के लिए लागत से कम से कम 50 फीसदी अधिक मुनाफा तय किया है.
केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश के सीमांत किसानों को समृद्ध बनाने के लिए परंपरागत तरीकों से निकल कर समय के अनुकूल कृषि के आधुनिक तरीकों को अपनाना होगा. पैक्स और एफपीओ इसी की शुरुआत है. देश के सभी एफपीओ जिस स्वरूप में हैं उसी में काम करते रहें लेकिन अपने साथ पैक्स को भी जोड़ते रहें. एक नया हाइब्रिड मॉडल बनाना चाहिए जो पैक्स और एफपीओ के बीच की व्यवस्था के आधार पर सूचना के आदान-प्रदान, मुनाफा शेयरिंग और मार्केटिंग की पूरी व्यवस्था कर सके. शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने अब तक 127 करोड़ रुपये से ज्यादा ऋण एफपीओ को दिया है जो 6900 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है.
शाह ने कहा कि आदिवासी जिलों में भी 922 एफपीओ बने हैं जो वन उपज के लिए काम करते हैं. इससे मालूम होता है कितनी बारीकियों के साथ नरेंद्र मोदी सरकार और कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर आगे बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि आज गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब ने एफपीओ के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है.
किसी के पास पूंजी है या नहीं, लेकिन अगर श्रम करने का हौसला, काम करने की लगन और अपने आप को आगे ले जाने का इरादा है तो सहकारिता आंदोलन बहुत बड़ा साधन बन सकता है. देश के 65 करोड़ से ज़्यादा कृषि से जुड़े लोगों को संबल देने और उनकी छोटी पूंजी को मिलाकर एक बड़ी पूंजी बनाकर समृद्ध बनाने की दिशा में सहकारिता आंदोलन महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.
अमित शाह ने कहा कि भारत में लगभग 65 प्रतिशत लोग कृषि और इससे संबद्ध गतिविधियों के साथ जुड़े हैं. लगभग 55 प्रतिशत कार्यबल कृषि और इससे संबद्ध गतिविधियों में लगा है. उन्होंने कहा कि परोक्ष रूप से देखें, तो इन 65 प्रतिशत लोगों और 55 प्रतिशत कार्यबल के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में बाकी सभी सेवाएं भी एक प्रकार से कृषि पर ही निर्भर हैं. आज देश के 86 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके पास एक हेक्टेयर से कम भूमि है. पूरी दुनिया में सिर्फ भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने छोटे किसानों को मज़दूर नहीं बनने दिया और वे अपनी भूमि के मालिक हैं. कृषि को आधुनिक बनाने और उपज के अच्छे दाम पाने के लिए हमें परंपरागत तरीकों से बाहर निकलकर नए तरीके अपनाने होंगे. पैक्स और एफपीओ इसी की शुरुआत है.
शाह ने कहा कि 2013-14 में देश में 265 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ था और 2022-23 में 324 मिलियन हुआ है. कुछ किसान एमएसपी की बात करना चाहते हैं, इस पर कहीं पर भी चर्चा करने के लिए सरकार तैयार है. मोदी सरकार ने धान की खरीदमें 88 फीसदी की वृद्धि की है. यानी लगभग डबल धान खरीदा है. गेहूं की खरीद में दो तिहाई, यानी 72 फीसदी की वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि 251 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का काम सरकार ने किया है और लाभार्थियों की संख्या लगभग दो गुना हो गई है.
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