देश में रासयानिक खाद से बढ़ते मिट्टी के प्रदूषण, इंसानों और जानवरों पर पड़ रहे बुरे प्रभावों को देखते हुए फिर एक बार सरकार और किसानों का प्राकृतिक खेती (नेचुरल फार्मिंग) की ओर रुझान बढ़ रहा है. केंद्र और राज्य की सरकारें इसके लिए लगातार प्रयास कर रही हैं. इसी क्रम में यूपी में भी प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ाने के लिए सरकार निरंतर एक्शन प्लान बनाकर काम कर रही है. यूपी में एक लाख एकड़ क्षेत्र में नेचुरल फार्मिंग को लेकर अलख जगी है. प्राकृतिक और जैविक खेती के रकबे में आने वाले सालों में बढ़ोतरी के आसार हैं. इसमें नमामि गंगे योजना की भी अहम भूमिका है.
प्रदेश में नमामि गंगे योजना के तहत अमरोहा जिले में 20-20 हेक्टेयर के 355 क्लस्टर गठित कर जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की कवायद की जा रही है. वहीं, कई और जिलों में भी इसके तहत काम किया जाएगा. मालूम हो कि फसलों की उत्पादकता और मिट्टी के सुरक्षित रखने के लिए प्राकृतिक खेती बहुत जरूरी हो गई है. एक कृषि अधिकारी ने बताया कि जिले में 20 हेक्टेयर के क्लस्टर चुने गए हैं. जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए विकास भवन परिसर में बिक्री केंद्र भी खोले जा रहे हैं.
इस योजना के तहत चयनति किसानों को स्प्रे मशीन, बीज, हरी खाद और समेत कई सामग्रियों की खरीद पर प्रोत्साहन के रूप में राशि दी जाएगी. पहले साल किसानों को 4800 रुपये, दूसरे साल 4 हजार रुपये और तीसरे साल 3600 रुपये दिए जाएंगे. यह राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे किसानों के खाते में भेजी जाएगी. वहीं तीन साल प्राकृतिक खेती करने के बाद उक्त किसान को नेचुरल फार्मिंग के लिए प्रमाणित किया जाएगा. ऐसा होने पर वे अपने उत्पाद जैविक उत्पाद के टैग से बेच सकेंगे.
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योजना के तहत चयनित किसानों को हर साल प्राकृतिक और जैविक खेती के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी. इस दौरान उन्हें अन्य राज्यों में भी प्राकृतिक खेती और जैविक खेती करने वाली साइट्स का दौरा कराया जाएगा. इस योजना के तहत प्रोसेसिंग और पैकेजिंग से जुड़ी चीजों पर भी लाभुक किसानों को सब्सिडी और कई लाभ दिए जाएंगे.
यूपी में बुंदेलखंड में सिंचाई सुविधाओं के विकास के लिए सरकार 9 करोड़ रुपये खर्च करेगी. बता दें कि बुंदेलखंड और पूर्वांचल के किसानों को कृषि उपज को और बेहतर करने और बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. बता दें कि पिछले 3 सालों में यूपी के 2 लाख किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं.
पूर्वांचल और पश्चिमी जिलों में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा के तटीय इलाकों में किसानों को नेचुरल फार्मिंग से जोड़ा गया है. इसके अलावा परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत बुंदेलखंड में 7 जिलों में 47 प्रखंडों में 50-50 हेक्टेयर के क्लस्टर बनाकर किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा गया है.
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