इस समय भारत में कुल 6,28,221 गांव हैं. सभी में ड्रोन पहुंचाना है ताकि खेती-किसानी का तौर तरीका बदल जाए. लेकिन, ड्रोन की कीमत 6 से 10 लाख रुपये तक होती है और वो पांच से सात साल ही कारगर रहता है, इसलिए ट्रैक्टर की तरह इसे किसान खरीदेंगे ऐसी उम्मीद काफी कम है. ऐसे में अब यही विकल्प बचता है कि किराये पर ड्रोन देकर उसका खेती में उपयोग करवाया जाए. रासायनिक उर्वरक बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी कंपनी इफको इसीलिए खुद 2,500 एग्री-ड्रोन (Agri Drones) खरीद रही है. ताकि उसे किराये पर देकर नैनो यूरिया और डीएपी का स्प्रे करवाया जा सके. वरना ड्रोन की कमी की वजह से भारत की इस अनोखी खोज को किसान स्वीकार नहीं कर पाएंगे. इसी कमी को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार भी कोशिश कर रही है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को ड्रोन प्रदान करने के लिए 1261 करोड़ रुपये की जिस योजना को मंजूरी दी है, वह इसी तरह की पहल है. इस योजना का लक्ष्य किसानों को कृषि कार्यों के लिए किराये पर ड्रोन उपलब्ध करवाना है. देश भर के 15,000 चयनित महिला एसएचजी को ड्रोन प्रदान किए जाएंगे. यह कदम क्रॉप प्रोटक्शन के तौर-तरीकों के बदलाव, आधुनिकीकरण और नैनो उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.
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दरअसल, ड्रोन कीटनाशकों का छिड़काव, बीजों की बुवाई और फसलों की सेहत पर निगरानी रखने में सबसे कारगर मशीन है. इसने किसानों का काम आसान होगा. क्योंकि कीटनाशकों का छिड़काव और बुवाई काफी आसान हो जाएगी. पहले जहां 2:30 घंटे में एक एकड़ में छिड़काव होता था वहीं अब यह काम सिर्फ 7 मिनट में हो रहा है. एग्रीकल्चर ड्रोन से न सिर्फ किसानों की इनपुट कॉस्ट में बचेगी बल्कि फसलों का नुकसान कम हो जाएगा, जिससे उत्पादन पहले से ज्यादा मिलेगा. अब जो मोदी सरकार ने महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के जरिए ड्रोन किराये पर देने का प्लान बनाया है उससे महिलाएं भी सशक्त होंगी.
भारत ने नैनो फर्टिलाइजर के रूप में एक अनोखी खोज की है, जिससे किसानों की जिंदगी काफी आसान हो जाएगी. क्योंकि 45 या 50 किलो वाली खाद की बोरी की जगह अब नैनो खाद सिर्फ 500 एमएल की बोलत में समा गई है. लेकिन, देखने में यह आया है कि देश के कई हिस्सों में किसान इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं. क्योंकि उनके पास स्प्रे करने के लिए अभी पुराना ही तरीका है, जिससे बड़े पैमाने पर स्प्रे करना संभव नहीं है.
यह काम करने के लिए ड्रोन की जरूरत है. ड्रोन न होने की वजह से ही देश के कई हिस्सों में किसान नैनो उर्वरक लेने से परहेज कर रहे हैं. लोग पारंपरिक यूरिया और डीएपी की ही मांग कर रहे हैं. इसलिए केंद्र सरकार की यह ड्रोन पॉलिसी नैनो उर्वरकों के उपयोग को भी बढ़ावा देने में बहुत मदद करेगी. एसएचजी नैनो उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए किसानों को ड्रोन किराये पर देंगे.
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