किसानों की भलाई के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने नई पहल शुरू की है. इसके तहत किसानों को जीरो परसेंट ब्याज पर कम अवधि का लोन (zero percent loan) दिया जा रहा है. इस स्कीम (chhattisgarh farmer loan) का लाभ लेकर किसान लोन की सुविधा ले रहे हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने इससे पहले भी किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई हैं. इनमें राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के नाम हैं. ये सभी स्कीम किसानों और खेती-बाड़ी से जुड़ी हैं. इसमें एक कदम और बढ़ाते हुए सरकार ने जीरो परसेंट पर शॉर्ट टर्म लोन देना शुरू किया है जो खास तौर पर बागवानी फसलों के लिए है.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जीरो परसेंट ब्याज वाले किसान लोन (chhattisgarh farmer loan) का ऐलान किया है. इस फैसले में कहा गया कि किसानों को बागवानी फसलों की खेती के लिए जीरो परसेंट ब्याज पर (बिना ब्याज का लोन) तीन लाख तक का लोन (zero percent loan) दिया जा रहा है. इस लोन के माध्यम से किसान मक्का, मूंगफली आदि की खेती आसानी से कर सकते हैं. इन फसलों की खेती के लिए किसानों को बिना किसी ब्याज के 3 लाख रुपये का लोन लिया जा सकता है.
इस लोन के अलावा छत्तीसगढ़ सरकार किसानों कौशल विकास और टेक्निकल गाइडेंस पर भी फोकस कर रही है. बागवानी फसलों की खेती में तेजी लाने और इससे जुड़े औजार, उपकरणों की खरीद को आसान बनाने के लिए सरकार की तरफ से सहायता दी जा रही है. सिंचाई में भी किसानों को मदद मिल रही है. छत्तीसगढ़ में 834.311 हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी फसलों (horticulture crops) की खेती होती है. इसका उत्पादन 11236.447 मीट्रिक टन है. ऐसे में सरकार की तरफ से जीरो परसेंट ब्याज पर लोन की सुविधा मिलने से बागवानी के प्रति किसानों का आकर्षण बढ़ेगा.
बागवानी फसलों का भविष्य बहुत बेहतर है और अन्य फसलों की तुलना में इसका उत्पादन बंपर होता है. परंपरागत फसलों के बजाय मक्का और मूंगफली से अधिक कमाई प्राप्त की जा सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार की इस नई स्कीम का फायदा केवल प्रदेश के स्तर पर ही नहीं बल्कि देश के किसान भी बागवानी (horticulture crops) को बढ़ावा देंगे. दूसरे राज्य भी इस स्कीम को अपने यहां लागू करने की कोशिश करेंगे.
छत्तीसगढ़ में मुख्य रूप से हरी मिर्च और टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है. इसके अलावा हरी सब्जियां जैसे पालक, लालभाजी, चेनशब्जी, चौलाईभाजी, पटवाभाजी, मूंगाभाजी, कुसुमभाजी, प्याज भाजी उगाई जाती हैं. हालांकि इन सब्जियों का निर्यात नहीं होता और इसे स्थानीय स्तर पर ही उपयोग में लिया जाता है. सब्जियों में भिंडी, परवल, गोभी, बंदगोभी, भाटा, करेला, कुंदरू, कटहल की खेती होती है. फल जैसे अंगूर, केला, अनानास, पपीता, काजू, अमरूद की बागवानी (horticulture crops) की जाती है. साथ ही कई तरह के फूलों की खेती होती है.
छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को अन्य मदों में भी सहायता राशि देती है. ग्रीनहाउस घर बनाना हो या फैन और पैड सिस्टम का निर्माण करना हो, इसके लिए किसानों को 4000 वर्ग मीटर की खेती के लिए सहायता राशि दी जाती है. इन निर्माणों के खर्च पर अधिकतम 50 परसेंट तक सब्सिडी दी जाती है. नेचुरल वेंटिलेडेट सिस्टम, ट्यूबलर स्ट्रक्चर शेडनेट हाउस, पॉली हाउस निर्माण के लिए सहायता राशि दी जा रही है. किसान चाहें तो इन स्कीम के बारे में कॉल सेंटर नंबर 1800-180-1511 पर फोन कर जानकारी ले सकते हैं.(इनपुट/सुमी)
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