सहकारी चीनी मिलों (CSM) की सुविधा के लिए भारत सरकार के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने संशोधित इथेनॉल ब्याज अनुदान योजना (Ethanol Interest Subvention Scheme) के अंतर्गत सीएसएम के लिए एक योजना अधिसूचित की है. इसके तहत सहकारी चीनी मिलें अपने मौजूदा गन्ना आधारित फीडस्टॉक इथेनॉल प्लांट को मक्का और डैमेज खाद्यान्न (DFG) जैसे अनाजों का उपयोग करने के लिए मल्टी-फीडस्टॉक आधारित प्लांट्स में बदल सकेंगे.
इस संशोधित इथेनॉल ब्याज अनुदान योजना के अंतर्गत, सरकार उद्यमियों को बैंकों/वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए जाने वाले लोन पर 6% प्रति वर्ष या बैंकों/वित्तीय संस्थानों द्वारा लगाए गए ब्याज दर के 50%, जो भी कम हो, की दर से ब्याज अनुदान की सुविधा दे रही है, जिसका वहन एक साल की स्थगन अवधि (मोरेटोरियम) सहित पांच वर्षों के लिए केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है.
गन्ना पेराई की अवधि साल में केवल 4-5 महीने तक सीमित होती है, जिसके कारण चीनी मिलें कम समय के लिए ही काम कर पाती हैं. इससे उनकी ऑपरेशनल क्षमता और उत्पादकता में कमी आती है. सहकारी चीनी मिलों (सीएसएम) के पूरे साल काम करने के लिए उनके मौजूदा इथेनॉल प्लांट को नई संशोधित योजना के तहत मक्का और डीएफजी जैसे अनाज का उपयोग करने के लिए उसमें बदलाव किया जा सकता है. इससे वे मल्टी फीडस्टॉक वाले प्लांट्स बना सकेंगे.
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मल्टी-फीडस्टॉक आधारित प्लांट्स बनने से सहकारी चीनी मिलें अपने मौजूदा इथेनॉल प्लांट में तब भी इथेनॉल बना पाएंगी जब इसके लिए चीनी वाले फीडस्टॉक उपलब्ध नहीं होंगे. इससे इन प्लांट्स की उत्पादकता में भी सुधार होगा. नतीजतन, इन सहकारी इथेनॉल प्लांटों की कमाई भी बढ़ जाएगी क्योंकि वे हर सीजन में इथेनॉल बना सकेंगे.
भारत सरकार पूरे देश में पेट्रोल के साथ इथेनॉल ब्लेंडिंग (EPB) कार्यक्रम लागू कर रही है. ईबीपी कार्यक्रम के तहत, सरकार ने 2025 तक पेट्रोल के साथ इथेनॉल के 20 परसेंट मिश्रण का लक्ष्य तय किया है. सरकार ने जुलाई 2018 से अप्रैल 2022 तक अलग-अलग इथेनॉल ब्याज छूट योजनाओं को लागू किया है. अब ब्याज में छूट देकर सरकार इथेनॉल प्लांट में बदलाव की योजना लेकर आई है.
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