किसानों को वित्तीय मदद देने के लिए चलाई जा रही पीएम किसान योजना के ऑडिट में असम में बड़ी खामियां पाई गई हैं. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने राज्य में योजना के ऑडिट में पाया कि अकेले 3500 लाभार्थियों के खाते में 3 करोड़ से अधिक राशि भेजी गई. इसके अलावा 35 फीसदी यानी 11.72 लाख लाभार्थी अपात्र पाए गए हैं. इन लाभार्थियों से रकम वसूली केवल 0.24 फीसदी ही की जा सकी है.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने असम में केंद्र की प्रमुख प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में कई खामियां पाई हैं. इस 2018 से 2021 तक के ऑडिट में CAG को बड़ी संख्या में लाभार्थी अपात्र पाए गए हैं. एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया कि ऑडिट में पाया गया कि असम से मिले कुल 41,87,023 आवेदनों में से 25 फीसदी यानी 10,66,593 को PM KISAN पोर्टल की ओर से कमियां पाए जाने पर रद्द कर दिया गया.
CAG रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद राज्य सरकार ने मई-जुलाई 2020 में पूरे राज्य में की गई जांच के बाद बताया कि 31,20,430 लाभार्थियों में से 37 फीसदी यानी 11,72,685 लाभार्थी अपात्र थे. हाल ही में असम विधानसभा में पेश की गई सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि इन अपात्र लाभार्थियों को जारी की गई धनराशि का मात्र 0.24 फीसदी अक्टूबर 2021 तक वापस हासिल किया गया और उसे भी कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय को वापस नहीं किया गया है.
सीएजी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि लाभार्थियों की सूची में गड़बड़ियों की शिकायतों के बाद मई 2020 में शुरू की गई जांच में मई से जुलाई 2020 तक पूरे राज्य में सत्यापन के दौरान 15,59,286 नाम अपात्र पाए गए.
ऑडिट में डेटाबेस की जांच से पता चला कि बैंक खाता संख्याओं की शुरुआत में शून्य लगाकर फर्जी रजिस्ट्रेशन संख्याएं बनाई गई थीं. इसके नतीजे में एक ही बैंक खाते में कई किस्तें जमा कर दी गईं. सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट में 33 में से 16 जिलों में 3,577 ऐसे रजिस्ट्रेशन पाए गए, जिनके लिए 3.01 करोड़ रुपये जारी किए गए. इसके साथ ही 10 जिलों में 3,104 लाभार्थियों के संबंध में एक ही बैंक खाते का इस्तेमाल करके कई रजिस्ट्रेशन किए गए.
रिकॉर्ड की जांच से पता चला कि प्रशासनिक खर्च 2.18 करोड़ रुपये के लिए केवल 77 लाख रुपये का उपयोग प्रमाण पत्र (यूसी) दिया गया. सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों के जरिए लाभार्थियों के फिजिकल वेरीफिकेशन प्रैक्टिस को महत्व नहीं दिया गया. इससे दिशानिर्देशों, नियमों का उल्लंघन हुआ. राज्य सरकार ने ऑडिट में पाई गई खामियों को स्वीकार करते हुए फरवरी 2022 में कहा कि जून 2021 से उपायुक्तों और प्रधान सचिव की देखरेख में राजस्व अधिकारियों के माध्यम से फिर से 100 फीसदी सत्यापन किया जा रहा है.
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