फसल उत्पादन के बाद के नुकसान को कम करने के लिए वर्ष 2020 में शुरू किए गए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) के जरिए अब तक 36,250 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पास हो चुके हैं. इसके तहत अनाज और फल-सब्जियों को रखने के लिए वेयर हाउस, कोल्ड चेन, पैक हाउस, साईलो, ग्रेडिंग एव सोर्टिंग की सुविधा दी जा रही है, ताकि किसानों की आय बढ़े. इस योजना के तहत 2 करोड़ रुपये तक के लोन के लिए 3 फीसदी प्रति वर्ष की दर से ब्याज छूट मिलती है. यह ब्याज छूट अधिकतम 7 वर्षों के लिए उपलब्ध होती है. लेकिन, कुछ लोग यह पूछते हैं कि आखिर इस योजना का किसानों को कैसे फायदा मिल रहा है. केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में इसके फायदे गिनवाए हैं.
एआईएफ का क्या इंपैक्ट पड़ा इसका सरकार ने मूल्यांकन करवाया है. दिसंबर 2023 में एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर और गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स ने यह काम किया. मूल्यांकन मुख्य तौर पर इस स्कीम के लाभार्थियों और किसानों से प्राप्त प्रतिक्रिया पर आधारित था. इसमें दावा किया गया है कि 26 जनवरी 2025 तक एआईएफ के तहत कृषि क्षेत्र में निवेश से 9 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं. मंजूर प्रोजेक्ट में से लगभग 97 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों में हैं.
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केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने दावा किया है कि एआईएफ के तहत देश में लगभग 550 लाख मीट्रिक टन (LMT) की भंडारण क्षमता बढ़ी है. जिसमें लगभग 510.6 एलएमटी ड्राई स्टोरेज और लगभग 39.4 एलएमटी कोल्ड स्टोरेज शामिल हैं. इस अतिरिक्त भंडारण क्षमता से सालाना 20.4 एलएमटी खाद्यान्न और 3.9 एलएमटी बागवानी उत्पादों की बचत हो सकती है. इन सुविधाओं के अभाव में बड़े पैमाने पर फल, सब्जियां और अनाज सड़ जाते हैं, जिससे किसानों को नुकसान होता है.
इस योजना के तहत बनाए गए एग्रो प्रोसेसिंग सेंटर के जरिए किसानों की उपज का वैल्यू एडिशन हो रहा है. जिसकी वजह से किसानों की आय में 20 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. साथ ही फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी आई है. इस योजना के तहत बनाए गए कस्टम हायरिंग सेंटर कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं और फसल अवशेष का अच्छा मैनेजमेंट हो रहा है. गोदामों, कोल्ड स्टोरेज, छंटाई, ग्रेडिंग यूनिटों और फलों को पकाने वाले चैंबर से किसानों की आय बढ़ रही है. कृषि मंत्रालय ने बताया कि 31 फीसदी एआईएफ यूनिटों ने सरकारी सब्सिडी का फायदा उठाया है.
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