सरकार ने इथेनॉल का रेट फिर से बढ़ा दिया है. पिछले 15 दिनों में इसका दो बार रेट बढ़ाया गया है. इससे डिस्टिलरीज को पहले से अधिक कीमतें मिलेंगी. डिस्टिलरी से इथेनॉल तेल की मार्केटिंग कंपनियां खरीदती हैं और उसे पेट्रोल में मिलाती हैं.
सरकार ने अनाजों या डिस्टिलरीज में इथेनॉल उत्पादन का टारगेट 12 परसेंट तय किया है. सरकार इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है. डिस्टिलरीज में इथेनॉल अधिक बने, इसके लिए इथेनॉल के दाम लगातार बढ़ाए जा रहे हैं.
एक नोटिफिकेशन में सरकार ने बताया है कि टूटे चावल और मक्के से बने इथेनॉल का दाम प्रति लीटर 3.71 रुपये बढ़ा दिए गए हैं. यह दाम तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. यही भाव देश की डिस्टिलरी को मिलेगा. रेट इसलिए बढ़ाए गए हैं ताकि अधिक से अधिक इथेनॉल का उत्पादन हो सके.
इससे पहले सरकार ने सात अगस्त को भी चावल और मक्के से बनने वाले इथेनॉल के रेट बढ़ाए थे. तब चावल के इथेनॉल की कीमत 4.75 रुपये और मक्के के इथेनॉल की कीमत 6.01 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए थे. सरकार ने फिर से इथेनॉल की कीमत बढ़ा दी है.
नई कीमतों के मुताबिक टूटे चावल से बने इथेनॉल की नई दर 64 रुपये प्रति लीटर और मक्के से बने इथेनॉल की दर 66.07 रुपये प्रति लीटर हो गई है. इस सीजन के लिए यह रेट तय किया गया है. इसी रेट पर डिस्टिलरी से इथेनॉल तेल मार्केटिंग कंपनियां खरीदा करेंगी.
सरकार ने चावल और मक्के से बने इथेनॉल की मात्रा 21.25 करोड़ लीटर का लक्ष्य रखा है. मौजूदा सीजन जो कि 31 अक्टूबर तक चलेगा, उसमें तेल मार्केटिंग कंपनियां को अनाज आधारित डिस्टिलरी से 21.25 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदना है. लेकिन अभी तक डिस्टिलरीज ने मात्र 9.52 करोड़ लीटर इथेनॉल ही सप्लाई की है.
डिस्टिलरीज को इथेनॉल बनाने के लिए चावल की सप्लाई फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया करता है. लेकिन जुलाई में यह सप्लाई बंद कर दी गई क्योंकि चावल की महंगाई को देखते हुए कॉरपोरेशन ने इसे डिस्टिलरीज को देना बंद कर दिया. इससे इथेनॉल के उत्पादन में कमी आई है. चावल की कमी से कई डिस्टिलरीज बंद भी हो गई है.(सभी फोटो Freepik से)
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