एमएसपी ही नहीं, डब्‍लूटीओ से भी भारत के अलग होने की मांग कर रहे हैं किसान, आखिर क्‍यों 

एमएसपी ही नहीं, डब्‍लूटीओ से भी भारत के अलग होने की मांग कर रहे हैं किसान, आखिर क्‍यों 

किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और विश्‍व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से भारत की वापसी सहित नई मांगों के साथ विरोध प्रदर्शन शुरू किया है.  प्रदर्शनकारी किसान यह भी चाहते हैं कि भारत सभी मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को रद्द कर दे.

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एमएसपी ही नहीं, डब्‍लूटीओ से भी भारत के अलग होने की मांग कर रहे हैं किसान, आखिर क्‍यों आखिर डब्‍लूटीओ से किसानों को क्‍या दिक्‍कत है

किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और विश्‍व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से भारत की वापसी सहित नई मांगों के साथ विरोध प्रदर्शन शुरू किया है.  प्रदर्शनकारी किसान यह भी चाहते हैं कि भारत सभी मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को रद्द कर दे.  अपनी मांग को लेकर 26 फरवरी को एक राष्‍ट्रव्‍यापी 'ट्रैक्टर प्रदर्शन' की तैयारी भी कर ली है. इसमें सरकार से डब्ल्यूटीओ से हटने का आग्रह किया जाएगा.  लेकिन किसान WTO से वापसी की मांग क्यों कर रहे हैं? अंतरराष्‍ट्रीय व्यापार निकाय राष्ट्रों के बीच व्यापार के नियमों से संबंधित है.  

क्‍या कहते हैं WTO के नियम 

डब्ल्यूटीओ के नियमों के अनुसार, सदस्य देशों को अपने कृषि उत्पादकों को प्रदान की जाने वाली घरेलू सहायता की मात्रा को सीमित करना आवश्यक है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अत्यधिक सब्सिडी अंतरराष्‍ट्रीय व्यापार को विकृत कर सकती है. इनमें व्यापार बाधाओं को कम करने और सेवा बाजारों को खोलने के लिए अलग-अलग देशों की प्रतिबद्धताएं भी शामिल हैं. कई देश भारत द्वारा अपने किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि इससे वैश्विक कृषि कारोबार पर असर पड़ेगा. 

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एमएसपी और WTO 

भारत, जनवरी 1995 से डब्ल्यूटीओ का सदस्य है. भारतीय किसान एमएसपी को लेकर कानूनी गारंटी चाहते हैं, लेकिन डब्ल्यूटीओ के नियम इसके ठीक उलट हैं. भारत ने यह भी वादा किया है कि वह एमएसपी तय करने पर कोई गारंटी नहीं देगा. इसके चलते किसान चाहते हैं कि भारत डब्ल्यूटीओ से बाहर आकर एमएसपी से जुड़ी उनकी मांगों को मान ले. साथ ही उसे सभी एफटीए भी रद्द कर देने चाहिए ताकि उसे किसी अन्य देश या संगठन की शर्तों के आगे झुकना न पड़े. 

खाद्य सुरक्षा को खतरा 

विश्‍व व्यापार संगठन में 164 सदस्य हैं जो 98 प्रतिशत विश्व व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके अलावा, एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में भागीदार देशों के बीच व्यापार की जाने वाली वस्तुओं पर टैरिफ को कम करना या समाप्त करना भी शामिल है. इस बीच, विकासशील देश भी एक विशेष सुरक्षा तंत्र की मांग कर रहे हैं जो उन्हें कृषि वस्तु के आयात में वृद्धि या इसकी कीमत में गिरावट होने पर आयात प्रतिबंध लगाने की अनुमति देगा. उनका कहना है कि इससे देश में किसानों की आजीविका खत्म हो सकती है और खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है. 

मोदी सरकार का भी सिरदर्द 

भारत द्वारा अपने गरीब और सीमांत किसानों को एमएसपी देने का मसला दशकों से जेनेवा स्थित डब्ल्यूटीओ में अक्‍सर बहस का विषय रहा है. यह मामला पिछली सभी भारतीय सरकारों को परेशान करता रहा है.  लेकिन अब बार-बार होने वाले किसान विरोध प्रदर्शनों की वजह से यह मसला मोदी सरकार के लिए भी सिरदर्द बन गया है. साल 2014 से 2019 तक अपने शासन के पहले कार्यकाल में, सरकार ने डब्ल्यूटीओ में खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के मुद्दे को संबोधित करने का सहारा लिया था. 

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