संयुक्त क‍िसान मोर्चा ने 'किसान शहीद स्मारक' के ल‍िए द‍िल्ली बॉर्डर पर मांगी जमीन, जालंधर कन्वेंशन में उठी मांग

संयुक्त क‍िसान मोर्चा ने 'किसान शहीद स्मारक' के ल‍िए द‍िल्ली बॉर्डर पर मांगी जमीन, जालंधर कन्वेंशन में उठी मांग

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृष‍ि कानूनों के ख‍िलाफ 26 नवंबर 2020 से 11 दिसंबर 2021 तक दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर, पटिकरी, गाज़ीपुर, पलवल, ढासा, सुन्हेड़ा और शाहजहांपुर बॉर्डरों पर क‍िसान आंदोलन चला था. एसकेएम का दावा है क‍ि इसमें 736 क‍िसान शहीद हो गए थे. 

Advertisement
संयुक्त क‍िसान मोर्चा ने 'किसान शहीद स्मारक' के ल‍िए द‍िल्ली बॉर्डर पर मांगी जमीन, जालंधर कन्वेंशन में उठी मांगसंयुक्त क‍िसान मोर्चा के जालंधर कन्वेंशन में मौजूद क‍िसान.

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने दिल्ली और हरियाणा की सरकारों से दिल्ली सीमा पर किसान शहीद स्मारक बनाने के लिए जमीन देने की मांग की है. यह मांग मंगलवार को जालंधर स्थ‍ित बाबा ज्वाला सिंह ऑडिटोरियम में आयोज‍ित किसानों की अखिल भारतीय कन्वेंशन में उठाई गई. मोर्चा के नेताओं ने कहा क‍ि तीन कृष‍ि कानूनों के ख‍िलाफ एक साल से अध‍िक वक्त तक चले आंदोलन में 736 क‍िसान शहीद हो गए थे. मोर्चा ने देश भर के क‍िसानों से अपील की है क‍ि वो 'किसान शहीद स्मारक' की जमीन के ल‍िए दिल्ली और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों को पत्र ल‍िखें. वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए इन कानूनों के ख‍िलाफ यह संघर्ष 26 नवंबर 2020 से 11 दिसंबर 2021 तक दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर, पटिकरी, गाज़ीपुर, पलवल, ढासा, सुन्हेड़ा और शाहजहांपुर बॉर्डरों पर आयोजित किया गया था. 

मोर्चा के कन्वेंशन में कहा गया क‍ि यह ऐतिहासिक किसान संघर्ष आजादी के बाद से अब तक के भारत का सबसे लंबा आंदोलन था. इस आंदोलन ने उन तीन कानूनों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो किसानों द्वारा की जाने वाली कृषि, खाद्य भंडारण, खाद्य बाजारों और देश की खाद्य सुरक्षा पर कॉर्पोरेट नियंत्रण को बढ़ावा देने वाले थे. इसमें जान देने वाले किसान सेनानियों का जीवन बलिदान मूल्यवान है, इसलिए उन किसानों की याद में एक उपयुक्त स्मारक स्थापित करना भारत के लोगों की जिम्मेदारी है. यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा. उन्हें किसी भी प्रकार के अन्याय और शोषण के खिलाफ संघर्ष का रास्ता दिखाएगा. 

इसे भी पढ़ें: एक्सपोर्ट बैन से प्याज उत्पादक क‍िसानों को क‍ितना नुकसान, इस र‍िपोर्ट को पढ़कर हो जाएंगे हैरान

बीजेपी को सबक स‍िखाने का आह्वान 

कन्वेंशन में एसकेएम के नेताओं ने कहा क‍ि केंद्र की सरकार कॉर्पोरेट समर्थक और किसान विरोधी है. इसल‍िए चुनाव में भाजपा सबक स‍िखाने के ल‍िए क‍िसानों से आह्वान किया गया. आरोप लगाया गया क‍ि बीजेपी सरकार ने जान बूझकर किसानों की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ने, किसानों की जमीन हड़पने एवं उन्हें खेती से बाहर करने के लिए नीतियां बनाईं और लागू की हैं. कॉर्पोरेट द्वारा खेती, फसल उत्पादन और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण क‍िया जा रहा है. इससे मुनाफाखोरी बढ़ेगी और आम लोगों को द‍िक्कत होगी. 

एसकेएम ने क्या मांग की? 

जालंधर कन्वेंशन में क‍िसान नेताओं ने कहा क‍ि एसकेएम कॉर्पोरेट एकाधिकार के लालची चंगुल से लोगों को मुक्त करना चाहता है. सार्वजनिक निवेश, उत्पादक सहकारी समितियों और अन्य जन केंद्रित मॉडलों पर आधारित कृषि और कृषि आधारित उद्योगों को विकसित करने की एक वैकल्पिक नीति की मांग करता है. ताकि किसानों को लाभकारी मूल्य मिले. मजदूरों को सम्मानजनक जीवन व सामाजिक सुरक्षा के साथ मजदूरी मिले. सभी वर्ग के लोगों के लिए पेंशन का लक्ष्य हासिल किया जा सके. एसकेएम ने 16 फरवरी 2024 को ग्रामीण बंद और पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने का एलान क‍िया है. 

इसे भी पढ़ें: Wheat Price: ओपन मार्केट सेल के बावजूद कम नहीं हुआ गेहूं-आटे का दाम, क‍िसे फायदा और क‍िसका नुकसान? 

 

POST A COMMENT