संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में 283 दिन से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में एक नया मोड़ आने वाला है. इधर, 25 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है तो उधर एमएसपी की लीगल गारंटी और अन्य मांगों को लेकर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल खनौरी बॉर्डर पर 26 नवंबर से आमरण अनशन पर बैठेंगे. जबकि 6 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करेंगे. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर डल्लेवाल को कुछ होता है तो उसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी.
पंढेर ने कहा कि सरकार से बातचीत के लिए किसान संगठन तैयार हैं लेकिन सरकार हठधर्मिता पर उतारू है. उन्होंने विपक्ष के नेताओं से संसद में किसानों के मुद्दों को जोरशोर से उठाने की अपील की. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार नहीं मानेगी तब तक किसान आंदोलन चलता रहेगा. किसान झुकने वाले नहीं है. उन्होंने कहा कि शंभू बॉर्डर को किसानों ने नहीं बल्कि सरकार ने बंद किया है.
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नेताओं ने कहा कि किसान जत्थों के रूप में बैरिकेड्स की ओर बढ़ेंगे, इस दौरान पहले जत्थे का नेतृत्व किसान मजदूर संघर्ष समिति के वरिष्ठ नेता सतनाम सिंह पन्नू, सविंदर सिंह चुटाला और बीकेयू क्रांतिकारी के सुरजीत सिंह फूल करेंगे. वहीं, किसान नेताओं ने ऐलान किया कि इस बीच यदि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की शहादत होती है तो उनकी जगह पर किसान नेता सुखजीत सिंह हरदोझंडा आमरण अनशन पर बैठेंगे.
किसान संगठनों की ओर से कहा गया कि अगर सरकार 26 नवंबर से पहले बातचीत कर मोर्चे की मांगों का समाधान करना चाहती है तो आंदोलनरत किसान संगठनों के दरवाजे बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं. उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसी तरह की जबरदस्ती करेगी तो जबरदस्ती का मुकाबला धैर्य से किया जाएगा. 26 नवंबर के बाद पंजाब बीजेपी नेताओं को काले झंडे दिखाने का कार्यक्रम लागू किया जाएगा.
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