संभाजीनगर में फसल मुआवजे के लिए हल्‍ला बोल, CPI और किसान संगठन ने निकाला मोर्चा

संभाजीनगर में फसल मुआवजे के लिए हल्‍ला बोल, CPI और किसान संगठन ने निकाला मोर्चा

मराठवाड़ा में अतिवृष्टि से फसलें चौपट होने पर किसानों ने संभाजीनगर में जोरदार मोर्चा निकाला. CPI और किसान संगठनों ने कर्ज माफी और प्रति एकड़ 50 हजार रुपये मुआवजा मांगते हुए सरकार पर दबाव बनाया. प्रदर्शनकारियों और पुलिस में धक्का-मुक्की भी हुई.

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संभाजीनगर में फसल मुआवजे के लिए हल्‍ला बोल, CPI और किसान संगठन ने निकाला मोर्चाकिसानों और सीपीआई कार्यकर्ता सड़क पर उतरे

मराठवाड़ा में लगातार हो रही अतिवृष्टि से किसानों को गहरा आर्थिक झटका लगा है. इसी मुद्दे को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और किसान सभा शेत मजदूर यूनियन ने मंगलवार को विभागीय आयुक्त कार्यालय पर जोरदार मोर्चा निकाला. बड़ी संख्या में किसान और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की. भारी बारिश से सोयाबीन, कपास, गन्ना और अन्य फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं. किसान कर्ज और घाटे की मार झेल रहे हैं. ऐसे हालात में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार से "ओला दुष्काल" घोषित करने की मांग की.

प्रति एकड़ 50 हजार मुआवजे की मांग

मोर्चे में शामिल कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी करते हुए किसानों का कर्ज तुरंत माफ करने और प्रति एकड़ 50 हजार रुपये की नुकसान भरपाई देने की मांग की. उनका कहना था कि लगातार हो रही बारिश की वजह से किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं और अगर यह सिलसिला नहीं रुका तो विभाग आयुक्त को खुद किसानों के परिजनों से मिलना होगा.

कार्यकर्ताओं और पुलिस में धक्‍का-मुक्‍की हुई

जैसे ही मोर्चा विभागीय आयुक्तालय पहुंचा, कार्यकर्ताओं ने दफ्तर में घुसने की कोशिश की. पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो दोनों के बीच धक्का-मुक्की और संघर्ष की स्थिति बन गई. कम्युनिस्ट पार्टी नेताओं का कहना है कि अतिवृष्टि से किसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है और सरकार अब तक उनकी समस्याओं से मुंह मोड़ रही है. उनका कहना है कि अधिकारियों को तुरंत पंचनामा करना चाहिए और आर्थिक मदद शुरू करनी चाहिए. पार्टी ने चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा.

महाराष्‍ट्र में 60 लाख हेक्‍टेयर फसल खराब! 

छत्रपति संभाजीनगर में अतिवृष्टि से बुरी तरह प्रभावित किसान अब आंदोलन के रास्ते पर उतर आए हैं. बड़ा सवाल यही है कि सरकार उनकी मांगों पर कब तक और कितना अमल करती है. वहीं, पीटीआई के मुताबिक, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को कहा कि भारी बारिश और बाढ़ से राज्य के कई हिस्सों में 60 लाख हेक्टेयर से ज़्यादा ज़मीन पर फसलें खराब होने का अनुमान है. किसानों को वित्तीय सहायता देने के फैसले पर अगले कुछ दिनों में निर्णय लिया जाएगा.

पिछले हफ़्ते भारी बारिश और बाढ़ से राज्य के बड़े हिस्से में लाखों एकड़ ज़मीन पर फसलें खराब हो गई हैं, जिसमें मराठवाड़ा क्षेत्र के आठ जिले, पश्चिमी महाराष्ट्र के सोलापुर, सतारा और सांगली शामिल हैं. मुंबई में आयाेजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिंदे ने कहा, "हम किसानों की मदद करने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाएंगे. हमारा मानना ​​है कि किसानों की मदद करते समय नियमों को दरकिनार कर देना चाहिए, हमें उनके साथ खड़े रहना चाहिए. जब ​​भी ऐसी कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो सरकार की यह ज़िम्मेदारी होती है कि वह लोगों की मदद करे." (इसरारुद्दीन चिश्‍ती की रिपोर्ट)

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