किसान नेता राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी एक महत्वपूर्ण चिट्ठी में जेनेटिकली मोडिफाइड सीड्स (GM Seeds) पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि आज के किसान सीमित आय के साधनों का सामना कर रहे हैं, जबकि कृषि लागत लगातार बढ़ रही है. बदलते जलवायु परिवर्तन के कारण रबी फसलें भी प्रभावित हो रही हैं, जिससे ग्रामीण कृषि के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ रही है.
टिकैत ने उल्लेख किया कि जब भी सरकार ने ऐसे बीज प्रस्तुत किए हैं, उससे मानव जीवन और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना रही. भारतीय किसान यूनियन ने बीटी कॉटन और हरियाणा में चावल के फील्ड ट्रायल का विरोध किया था. उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार के समय में पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने किसानों और जनता की राय मांगी थी, जिसमें सभी ने इन बीजों का विरोध किया था.
टिकैत ने जानकारी दी कि जीएम सरसों के विरोध के बावजूद भी देश में अवैध जीएम मक्का पाई गई है. उन्होंने चेतावनी दी कि विदेशी आयातित फल और सब्जियों में जीएम तत्वों की उपस्थिति बढ़ती जा रही है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती है. उन्होंने डीजीएफटी को प्राधिकरणों और नागरिक समाज से दिशानिर्देश सुधारने और आयात पर निगरानी बढ़ाने का सुझाव दिया. खासकर अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से आने वाले खाद्य पदार्थों की कड़ी जांच की जानी चाहिए.
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टिकैत ने चेतावनी दी कि जीएम बीजों से कैंसर और त्वचा रोग जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, जबकि पशुओं में बांझपन की समस्या हो सकती है. अंततः, उन्होंने जीएम बीजों पर पूरे देश में प्रतिबंध लगाने की मांग की और चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो भारतीय किसान यूनियन जनपद स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेगी.
पत्र में टिकैत ने लिखा है, डीजीएफटी को प्राधिकरणों और नागिरक समाज से संबंधित व्यक्ति विशेष के साथ बैठक करनी चाहिए जिससे नियामक तंत्र को मजबूत किया जा सके. इसके अलावा भारत सरकार को आयात पर निगरानी बढ़ा देनी चाहिए. खासतौर से अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया आदि जीएम उत्पादन करने वाले देशों से आने वाले उत्पादों की सख्त जांच की जाए. साथ ही कोई भी जीएम बीज या पौध सामग्री बिना अनुमति के देश के अंदर आयात न हो. इसे पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाए.
टिकैत ने लिखा है, पशु अगर चारे के रूप में इन फसलों को खाएगा तो उसमें बांझपन सहित त्वचा रोग की बीमारी हो जाएगी. जीएम बीजों पर अगर मधुमक्खी बैठ जाए तो वह कुछ समय बाद मरने की हालत में चली जाएगी. पिछले वर्षों में अवैध बीटी बैंगन और बीटी सोयाबीन की खेती के मामले सामने लाए गए थे. लेकिन संबंधित प्राधिकरणों से ठोस कार्यवाही नहीं हुई. इन घटनाओं ने देश की जैव सुरक्षा और जैव नियामक तंत्र को खतरे में डाल दिया है.
उन्होंने कहा, भारत सरकार के ही विभाग एफएसएसएआई ने 1 मार्च 2021 को 24 खाद्य फसलों के आयात के लिए जीएम मुक्त प्रमाण पत्र अनिवार्य किया था. लेकिन सोचने वाली बात है कि सभी अध्ययन लागू नहीं हो सके. जीएम मक्का का देश में अवैध रूप से आना इसी प्रकार के माध्यमों से जुड़ा हो सकता है जिसकी संभावना लगातार जताई जा रही है.
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टिकैत ने लिखा, इसलिए जीएम बीजों को देश के अंदर पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाए. कोई भी फील्ड ट्रायल जीएम बीजों का देश में न हो. अगर इसे प्रतिबंधित नहीं किया गया तो पूरे देश में जिला स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा.
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