पाकिस्तान ने सोमवार को भारत से आने वाली हवाओं को लाहौर में धुंध के बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया और भारतीय अधिकारियों से मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी में पिछले दो दिनों में एयर क्वालिटी इंडेक्स रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया. पिछले महीने से ही भारत की सीमा से लगे शहर लाहौर में एयर क्वालिटी बिगड़ने के बाद से जहरीले ग्रे स्मॉग ने हजारों लोगों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को बीमार कर दिया है. पंजाब पर्यावरण विभाग ने कहा कि हवा में पीएम 2.5 या छोटे कण की मात्रा 450 के करीब पहुंच गई है, जिसे खतरनाक माना जाता है.
पंजाब की सूचना मंत्री आजमा बुखारी ने मीडिया से कहा, "हवा की दिशा भारत से हवा को पाकिस्तान में लाती है, फिर भी भारत इस समस्या को उतनी गंभीरता से नहीं ले रहा है, जितनी उसे लेनी चाहिए." उन्होंने भारत से इस मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, "आज स्मॉग के स्तर में दिल्ली पहले स्थान पर है, जबकि लाहौर दूसरे स्थान पर है. दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 393 के आसपास है, जबकि लाहौर का 280 के करीब है." उन्होंने कहा कि चीन पिछले 26 वर्षों से स्मॉग से जूझ रहा है.
इससे पहले, पंजाब की वरिष्ठ मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा कि उनका प्रांत पाकिस्तान विदेश कार्यालय से भारत के साथ सीमा पार प्रदूषण के मुद्दे को उठाने का अनुरोध करने जा रहा है. उन्होंने कहा, "अमृतसर और चंडीगढ़ से आने वाली पूर्वी हवाएं पिछले दो दिनों से लाहौर में एयर क्वालिटी इंडेक्स को 1,000 से अधिक तक बढ़ा रही हैं."
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औरंगजेब ने कहा, "भारत से लाहौर की ओर आने वाली हवाएं धुंध को खतरनाक स्तर तक ले जा रही हैं और हवा कम से कम अगले सप्ताह तक इसी दिशा में रहने की संभावना है. लोगों को अपने घरों से बिना वजह बाहर निकलने से बचना चाहिए और अपना खयाल रखना चाहिए. बुजुर्गों और बच्चों को विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए."
पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने भी भारत के साथ 'क्लाइमेट डिप्लोमेसी' की अपील की और कहा कि वह जल्द ही पंजाब के भारतीय हिस्से के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्मॉग के मुद्दे पर बात करेंगी. इस बीच, पंजाब सरकार ने बढ़ते स्मॉग के मद्देनजर लाहौर में प्राइमरी स्कूलों को एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया है.
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सरकार ने पहले ही दिव्यांग बच्चों के लिए स्कूलों को तीन महीने के लिए बंद कर दिया है. लाहौर को कभी बगीचों के शहर के रूप में जाना जाता था, जो 16वीं से 19वीं शताब्दी तक मुगल काल के दौरान चारों ओर दिखते थे. हालांकि, तेजी से बढ़ते शहरीकरण और बढ़ती जनसंख्या वृद्धि ने हरियाली के लिए बहुत कम जगह छोड़ी है. यही वजह है कि लाहौर आज सबसे अधिक प्रदूषण से जूझते शहरों में एक है.(एजेंसी)
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