महाराष्ट्र सरकार में सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल ने किसानों को लेकर बेहद संवेदनहीन और विवादित बयान दिया है. इसको लेकर अब महाराष्ट्र की राजनीति भी गरमा गई है. अजित पवार की एनसीपी से मंत्री बालासाहेब ने कहा कि विपक्ष के लोगों द्वारा कर्ज माफी की मांग की जा रही है. किसानों को कर्जमाफी की लत लग गई है. हम चुनाव जीतना चाहते हैं, इसलिए चुनाव में ऐसे वादे करते हैं. जलगांव की एक जनसभा में पाटिल ने कहा कि चुनाव के दौरान, अगर कोई गांव में नदी लाने की मांग करता है, तो उससे वादा किया जाता है कि नदी ला दी जाएगी क्योंकि वे (नेता) चुनाव जीतना चाहते हैं.
राष्ट्रवादी पार्टी के अजित पवार गुट के नेता और महाराष्ट्र सरकार में सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल ने चोपड़ा में दीपज बैंक शाखा के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए यह विवादित बयान दिया. अब उनके इस बयान को लेकर खासा सियासी हंगामा देखने को मिला है. मंत्री बाबासाहेब पाटिल के इस बयान पर कि एनसीपी (SP) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि मैं इस सरकार के मंत्रियों की असंवेदनशीलता की निंदा करती हूं. किसानों ने बहुत कष्ट सहा है और अब उनका उपहास किया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. देश और महाराष्ट्र में बहुत से सभ्य लोग हैं, लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा कि महाराष्ट्र सरकार को क्या हो गया है.
हालांकि इस बयान पर विपक्ष के आक्रामक रवैये और विवाद खड़ा होने के बाद मंत्री बालासाहेब पाटिल के तेवर बदल गए हैं. राज्य के सहकारिता मंत्री खुद को किसान का बेटा बताते हैं जिनके पिता भी विधायक रह चुके हैं. पाटिल सतारा जिले से 6 बार के विधायक और दूसरी बार मंत्री पद पर हैं. बता दें कि बाढ़ और भारी बारिश से महाराष्ट्र के किसानों को अभूतपूर्व नुकसान हुआ है. इसको लेकर विपक्ष फडणवीस सरकार पर किसानों की कर्जमाफी को लेकर लगातार दबाव बना रहा है.
गौरतलब है कि बीते दिन ही महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में उद्धव बालासाहेब ठाकरे शिवसेना की ओर से ‘हंबरडा मोर्चा’ निकाला गया. यह मोर्चा मराठवाड़ा में हुई मूसलाधार बारिश से किसानों की बर्बाद हुई फसलों के मुआवजे की मांग को लेकर आयोजित किया गया था.सभा में उद्धव ठाकरे ने कहा कि हर संकट में शिवसेना किसानों के साथ खड़ी रही है. उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के दावे के अनुसार 31,000 करोड़ का राहत पैकेज सिर्फ कागजों पर है, अब तक किसानों को पैसे नहीं मिले हैं. उन्होंने याद दिलाया कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तब कर्जमाफी लागू कर किसानों के खातों में सीधे पैसे डाले गए थे. उन्होंने मांग की कि किसानों को प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए. ठाकरे ने कहा कि यह जय अंबाडा मोर्चा नहीं, बल्कि इशारा मोर्चा है. अगर किसानों की कर्जमाफी नहीं हुई, तो सिर्फ मराठवाड़ा ही नहीं, पूरा महाराष्ट्र सड़क पर उतरेगा.
(रिपोर्ट- मुस्तफा)
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