जल्द ही महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक बढ़ने वाली है. बताया जा रहा है कि जल्द ही महाविकास अघाड़ी गठबंधन की तरफ से उम्मीदवारों के नाम पर फैसला हो जाएगा. जो खबरें सूत्रों की तरफ से आ रही हैं, उसके अनुसार अघाड़ी गठबंधन (एमवीए) विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन पूरी तरह से चुनाव की योग्यता के आधार पर करेगा न कि पिछले प्रदर्शन के आधार पर. साथ ही कहा जा रहा है कि पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर भी रजामंदी बन गई है. महाराष्ट्र में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार महाराष्ट्र मराठा और ओबीसी समुदायों के लिए आरक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शनों की चपेट में है. सूत्रों ने बताया कि अघाड़ी गठबंधन के लिए सीटों के बंटवारे की व्यवस्था अगले महीने की शुरुआत में हो जाएगी. उन्होंने कहा कि गठबंधन के सहयोगियों की तरफ से आपस में कुछ सीटों की अदला-बदली की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. हाल के लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस एमवीए गठबंधन के बीच महाराष्ट्र में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली पार्टी बनकर उभरी थी. उसने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से 13 सीटें जीती थीं. उसके बाद शिवसेना-यूबीटी (9) और एनसीपी-एसपी (8) का स्थान रहा.
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कांग्रेस के एक बागी, जिन्होंने शिवसेना-यूबीटी के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और सांगली से जीत हासिल की, ने एमवीए के साथ गठबंधन कर लिया है. विपक्षी गठबंधन एमवीए ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 31 पर जीत हासिल की. इस प्रदर्शन से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को झटका लगा था. एनडीए को 48 में से 45 सीटें जीतने की उम्मीद थी लेकिन इस प्रदर्शन ने उसे काफी निराश किया.
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सीट बंटवारे की बातचीत में तेजी ऐसे समय में आई है जब शिवसेना-यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और एनसीपी के सुप्रीमो शरद पवार के साथ अलग-अलग मीटिंग की. खड़गे की ठाकरे से मुलाकात के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और के सी वेणुगोपाल भी मौजूद थे. गांधी ने कहा कि ठाकरे के साथ बैठक महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों के सिलसिले में हुई. उन्होंने अपने व्हाट्सएप चैनल पर कहा, 'महा विकास अघाड़ी मिलकर चुनाव लड़ेगी और जीतेगी.'
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288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में साल 2019 में शिवसेना ने 56 सीटें, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 45 सीटें जीती थीं. गौरतलब है कि तब शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. बीजेपी के गठबंधन से बाहर होने के बाद, पवार ने कई विचारधाराओं वाली शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस पार्टियों को एक साथ लाकर ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया और एमवीए की शुरुआत हुई. कार्यकाल के आधे समय में ही शिवसेना टूट गई और एकनाथ शिंदे ने अधिकांश विधायकों को अपने साथ मिला लिया. फिर शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर एनडीए की सरकार बना ली. एक साल बाद एनसीपी में भी इसी तरह का बंटवारा हुआ और अजित पवार भी शिंदे की सरकार में शामिल हो गए. देवेंद्र फडणवीस उनके डिप्टी बने.
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