कर्नाटक में वक्फ द्वारा किसानों की जमीन को लेकर जारी किए गए नोटिस पर विवाद जारी है. हालांकि, सीएम सिद्धारमैया ने नोटिस वापस लेने के आदेश दिए है, लेकिन उप चुनाव के बीच राज्य में इस मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है. राज्य के पूर्व सीएम और भाजपा नेता बसवराज बोम्मई ने रविवार को कहा कि सिद्धारमैया सरकार ने उप चुनाव के दौरान किसानों के गुस्से को शांत करने के लिए वक्फ लैंड मामलों से जुड़े सभी नोटिस वापस लिए हैं. ये सरकार का सिर्फ एक 'ध्यान भटकाने' का तरीका है.
बसवराज बोम्मई ने एएनआई से कहा कि सीएम सिद्धारमैया वक्फ कानून के बारे में अच्छी से जानते हैं. नोटिस वापस लेने से कुछ नहीं होगा, किसानों को नोटिस कभी भी फिर से दिया जा सकता है. इसलिए, अगर सीएम सही में किसानों की भलाई और उनकी जमीन की सुरक्षा चाहते हैं तो उन्हें उस गजट नोटिफिकेशन को वापस लेना चाहिए, जिसके आधार पर किसानों को जमीन खाली करने के नोटिस जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कन 4 नवंबर को सभी वक्फ मुद्दों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने की बात भी कही है.
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इससे पहले दिन में भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सिद्धारमैया सरकार की ओर से किसानों को भेजे गए नोटिस वापस लेने के आदेश पर कटाक्ष किया. शहजाद पूनावाला ने कहा कि कर्नाटक सरकार 'यू-टर्न एक्सपर्ट' बन गई है. पहले यह सरकार कहती है कि कोई MUDA घोटाला नहीं हुआ और फिर वह MUDA घोटाले की जमीन लौटाती है. अब सीएम सिद्धारमैया कह रहे हैं कि किसी भी किसान की जमीन नहीं ली जाएगी, लेकिन वक्फ रुकने का नाम नहीं ले रहा है.
विजयपुरा और कर्नाटक में 53 वक्फ संपत्तियों की पहचान की गई है. इसका साफ होता है कि कांग्रेस पूरी प्लानिंग के साथ किसानों की जमीन वक्फ और अपने वोट बैंक को देना चाहती थी. आज जब वक्फ कानून में संशोधन करने की प्रक्रिया जेपीसी में होती है तो कांग्रेस इसका विरोध करती है."
इससे पहले 2 नवंबर को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वक्फ लैंड से जुड़े किसानों को भेजे गए सभी नोटिस को तुरंत वापस लें और किसानों को कोई परेशानी नहीं हो. वहीं, शनिवार को कर्नाटक के वक्फ और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री जमीर अहमद खान ने इस मामले में कहा कि भाजा ने इसे अलग तरीके से पेश किया है. हमने नोटिस को पुनर्विचार के लिए वापस ले लिया है. किसानों को भेजे गए नोटिस अस्थायी थे, जिसे भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाकर देश को गलत संदेश दे रही है.
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