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दिल्ली को बाहर से घेरेंगे किसान-मजदूर संगठन, KMP एक्सप्रेसवे जाम हुआ तो ठप हो जाएंगी 25 हजार गाड़ियां  

दिल्ली को बाहर से घेरेंगे किसान-मजदूर संगठन, KMP एक्सप्रेसवे जाम हुआ तो ठप हो जाएंगी 25 हजार गाड़ियां  

किसान नेताओं ने कहा है कि वह दिल्ली का रास्ता रोकने के लिए केएमपी एक्सप्रेसवे पर आंदोलन करेंगे. यह 6 लेन का एक्सप्रेसवे हरियाणा को दिल्ली से जोड़ता है और इससे रोजाना 25 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं. ट्रक मोटर्स बॉडी AIMGTA ने कहा कि अगर एक भी दिन केएमपी एक्सप्रेसवे जाम हुआ तो भारी नुकसान होगा. जरूरी वस्तुओं की कीमतों पर असर पड़ सकता है.

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दिल्ली को बाहर से घेरेंगे किसान-मजदूर संगठन. दिल्ली को बाहर से घेरेंगे किसान-मजदूर संगठन.

किसान नेताओं ने कहा है कि वह दिल्ली का रास्ता रोकने के लिए केएमपी एक्सप्रेसवे पर आंदोलन करेंगे. यह 6 लेन का एक्सप्रेसवे हरियाणा को दिल्ली से जोड़ता है और इससे रोजाना 25 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं. ट्रक मोटर ऑपरेटर्स बॉडी AIMGTA ने कहा कि अगर एक भी दिन केएमपी एक्सप्रेसवे जाम हुआ तो कई करोड़ रुपये का नुकसान होगा, जबकि जरूरी वस्तुओं की कीमतें भी प्रभावित होंगी. बता दें कि सभी फसलों पर एमएसपी गारंटी कानून समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों की महापंचायत आज 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में चल रही है. कई शहरों में किसानों के महापंचायत में पहुंचने से रोका गया है. इससे नाराज किसान नेताओं ने केएमपी एक्सप्रेसवे पर आंदोलन करने और   संघर्ष लंबा चलने की बात कही है.  

दिल्ली के रामलीला मैदान में आज चल रही महापंचायत में देशभर के करीब 400 संगठनों से जुड़े लोग और किसान पहुंचे हैं. जबकि, करीब 37 किसान और मजदूर संगठनों के नेता मंच पर मौजूद हैं. किसान नेताओं ने कहा कि रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर किसानों को रोक दिया गया है. इससे नाराज किसान नेताओं ने कहा है कि वह केएमपी एक्सप्रेसवे पर आंदोलन करेंगे. राकेश टिकैत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह दिल्ली का रास्ता रोककर आंदोलन करेंगे. 

जहां-जहां किसानों को रोका गया वहां-वहां प्रदर्शन होगा 

किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार और पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाया है कि दिल्ली के रामलीला मैदान में महापंचायत में दूसरे प्रदेशों से हिस्सा लेने आ रहे किसानों को रोका गया है. किसानों को रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर रोका गया है. राकेश टिकैत ने कहा कि हमें रामलीला मैदान आने नहीं दिया जा रहा .बसों को अलग अलग जगहों पर रोका गया. हमने अपने कार्यकर्ताओं को कहा है कि जहां जहां रोका गया उनके नाम नोट करो अगले डेढ़ महीने में उन्हीं थानों पर प्रदर्शन होगा. जिन-जिन जिलों में रोका गया तो वहां पर सांसद जहां-जहां से चुनाव लड़ेंगे हमारी गाड़ी उनके साथ चलेगी और हम उनका विरोध करेंगे. गांवों में घुसने नहीं देंगे. कहा कि एक बड़ा संघर्ष प्रदेश में होगा. हम राजनीतिक पार्टी नहीं हैं और हम सरेंडर नहीं करेंगे. संघर्ष लंबा चलेगा. 

दिल्ली का रास्ता रोकने के लिए केएमपी एक्सप्रेसवे पर आंदोलन होगा 

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि क्या हमारे दिल्ली आने पर रोक है? उन्होंने कहा कि हम सरेंडर नहीं करेंगे. उन्होंने ऐलान किया कि अगला आंदोलन हम दिल्ली का रास्ता केएमपी एक्सप्रेसवे के जरिए रोक कर करेंगे. केएमपी एक्सप्रेस को वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस भी कहा जाता है. यह एक्सप्रेसवे हरियाणा के 5 जिलों सोनीपत, झज्‍झर, गुरुग्राम, मेवात और पलवल से होकर गुजरता है. इससे लोग सीधा दिल्ली से जुड़ते हैं. 

केएमपी एक्सप्रेसवे पर आंदोलन हुआ तो 25000 वाहनों का रास्ता बंद होगा 

केएमपी एक्सप्रेसवे यानी कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे 83 किलोमीटर लंबा है. हरियाणा के 5 जिलों सोनीपत, झज्‍झर, गुरुग्राम, मेवात और पलवल से होकर गुजरता है. 6 लेन वाला यह एक्सप्रेसवे हरियाणा को दिल्ली से जोड़ता है और राज्य के लोगों को कम समय में दिल्ली पहुंचा देता है. जबकि, दिल्ली को भारी यातायात से बोझ से भी राहत देता है. केएमपी एक्सप्रेसवे करीब 25000 वाहन गुजरते हैं. अगर किसानों ने केएमपी एक्सप्रेसवे पर आंदोलन किया तो इससे गुजरने वाले 25 हजार से अधिक वाहनों के पहिये थम जाएंगे या फिर उन्हें गंतव्य तक पहुंचने के लिए नया रास्ता खोजना होगा. केएमपी एक्सप्रेसवे यानी कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे है. इसे वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे भी कहते हैं. 

रोजाना कई करोड़ का नुकसान होगा- ट्रक मोटर्स बॉडी 

आल इंडिया मोटर एवं गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (AIMGTA) के राजेन्द्र कपूर ने इंडिया टुडे ग्रुप के एग्रीकल्चर प्लेटफॉर्म 'किसान तक' को बताया कि अगर किसानों के केएमपी एक्सप्रेसवे पर आंदोलन करने की घोषणा यह बहुत चिंता जनक बात है. खासतौर पर ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों के लिए, क्योंकि आजकल अधिकांश ट्रक केएमपी एक्सप्रेसवे और ईस्टरन पेरिफरल एक्सप्रेसवे का ही इस्तेमाल करते हैं. यदि ऐसा हुआ तो पूरे उत्तर भारत में सामान की आवाजाही पर खासा प्रभाव पड़ेगा और प्रतिदिन करोड़ों रुपये का नुकसान होगा. इसके अलावा रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएं भी प्रभावित होंगी. सरकार को पहले से ही ठोस कदम उठाकर चाहे बातचीत कर इसका हल निकालना चाहिए.

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