Bihar Election 2025: बेगूसराय में 72 साल के किसान ने भरा नामांकन, बताया क्यों हुए चुनाव लड़ने को मजबूर

Bihar Election 2025: बेगूसराय में 72 साल के किसान ने भरा नामांकन, बताया क्यों हुए चुनाव लड़ने को मजबूर

Bihar Chunav: लोकतंत्र के इस महापर्व में जब ज्यादातर उम्मीदवार सत्ता और रणनीति की बातें कर रहे हैं, तब एक 72 वर्षीय किसान ने सबको चौंका दिया. खेत-खलिहान की मिट्टी से जुड़ा यह किसान राजनीति में किस्मत आजमा रहा है.

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बेगूसराय में 72 साल के किसान ने भरा नामांकन, बताया क्यों हुए चुनाव लड़ने को मजबूर72 साल के किसान ने भरा नामांकन

बिहार विधानसभा चुनाव के नामांकन के आखिरी दिन बेगूसराय के चेरिया बरियारपुर विधानसभा क्षेत्र में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला. आंखों में उम्मीद की चमक लिए एक 72 वर्षीय बुजुर्ग किसान ने चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान किया है. किसान का नाम राम स्वारथ प्रसाद है, जो खोदावंदपुर प्रखंड के बड़ा खोदावंदपुर गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने समस्याओं से परेशान होकर विधानसभा चुनाव में नामांकन दाखिल किया और कहा कि वह चुनाव जीतने के बाद शिक्षा को फ्री कर हर समस्या को दूर करने का काम करेंगे.

किसान ने क्यों किया चुनाव लड़ने का फैसला

राम स्वारथ प्रसाद ने प्रोटेस्ट सर्व समाज पार्टी से मंझौल अनुमंडल कार्यालय पहुंचकर नामांकन दाखिल किया. उन्होंने कहा कि हमने जिंदगी भर किसानों की परेशानियां देखी हैं. शिक्षा, रोजगार, खेती - हर जगह समस्या ही समस्या है. अब बर्दाश्त नहीं हुआ, इसलिए चुनाव लड़ने का फैसला किया है. उम्मीदवार राम स्वारथ प्रसाद ने बताया कि हर जगह समस्या ही समस्या है उन्हें दूर करना हमारी प्राथमिकता है.

'शिक्षा को पूरी तरह से कर देंगे फ्री'

72 साल के इस बुजुर्ग किसान का मानना है कि समस्याओं पर चर्चा करने से बेहतर है कि उनका समाधान खुद किया जाए. उनका कहना है कि अगर जनता ने उन्हें मौका दिया, तो वे शिक्षा को पूरी तरह फ्री कर देंगे और किसानों को उनका हक दिलाएंगे. उन्होंने कहा कि कृषि को उद्योग का दर्जा देना चाहिए. विदेशी सामान का आयात बंद होना चाहिए, ताकि हमारे देश के किसान और मजदूर आत्मनिर्भर बन सकें. हम लघु उद्योग लगाएंगे, ताकि लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके.

समस्याओं के खिलाफ लड़ रहे चुनाव

नामांकन के दौरान राम स्वारथ प्रसाद का जोश देखने लायक था. समर्थकों ने किसान नेता जिंदाबाद के नारे लगाए. कई लोगों ने उनकी उम्र देखकर हैरानी जताई, लेकिन उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि उम्र नहीं, इरादा मायने रखता है. जब तक सांस है, तब तक समाज के लिए कुछ करने की चाह रहेगी.उनकी चुनावी घोषणा भी साफ है- वे किसी पार्टी या व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि समस्याओं के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं.

'अब दब चुकी है आम किसान की आवाज' 

राम स्वारथ प्रसाद के हलफनामे के अनुसार, वे एक किसान हैं, पत्नी के साथ रहते हैं, और राजनीति में नया कदम रख रहे हैं. वे मानते हैं कि राजनीति में आम किसान की आवाज अब दब चुकी है, और उसे फिर से जिंदा करने की जरूरत है. बेगूसराय की सात विधानसभा सीटों पर 6 नवंबर को पहले चरण में मतदान होना है. नामांकन के आखिरी दिन इस बुजुर्ग किसान की उम्मीदवारी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया. (सौरभ कुमार की रिपोर्ट)

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