'महायुति के कारण बाढ़ पीड़‍ित किसान काली दिवाली मनाने को मजबूर', विपक्ष ने आंदोलन की दी चेतावनी

'महायुति के कारण बाढ़ पीड़‍ित किसान काली दिवाली मनाने को मजबूर', विपक्ष ने आंदोलन की दी चेतावनी

महाराष्ट्र में बारिश-बाढ़ से तबाह किसानों की मदद को लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) ने कहा कि महायुति सरकार का राहत पैकेज बेहद कम है. आरोप लगाया कि झूठे वादों और भ्रष्टाचार के कारण किसानों की दिवाली ‘काली’ होने जा रही है.

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'महायुति के कारण बाढ़ पीड़‍ित किसान काली दिवाली मनाने को मजबूर', विपक्ष ने आंदोलन की दी चेतावनीविपक्ष ने किसानों की 'मामूली' मदद पर सरकार पर साधा निशाना (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र में बारिश और बाढ़ से आम लोगों और किसानों को भारी नुकसान हुआ है. राज्‍य सरकार ने उनकी आर्थकि मदद के लिए पैकेज की घोषणा तो की है, लेकिन विपक्ष ने इस मदद को बेहद कम बताया है. इस बीच, आज विपक्षी दल कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) ने महायुति सरकार पर ‘भ्रष्टाचार’ और ‘झूठे वादों’ का आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों को मिली राहत बेहद मामूली है और इससे उनका दर्द कम नहीं होगा. भ्रष्‍ट सरकार की वजह से किसानों की दिवाली ‘काली’ होने वाली है.

एनसीपी (एसपी) के प्रदेश अध्यक्ष शशिकांत शिंदे ने कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों की उम्मीदों को झूठे आश्वासनों से जला डाला है. उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के खिलाफ एनसीपी (एसपी) कार्यकर्ताओं ने राज्यभर में जिला कलेक्टर कार्यालयों के बाहर एक दिन का उपवास रखा.

महायुति ने किसानों के साथ मजाक किया: शशिकांत शि‍ंंदे

शिंदे ने सातारा में प्रदर्शन के दौरान कहा कि यह विरोध किसानों की दुर्दशा पर सरकार का ध्यान खींचने के लिए है. उन्होंने कहा कि जो सरकार खुद को ‘सबसे प्रगतिशील’ बताती है, उसने अन्नदाताओं के साथ मजाक किया है. न तो कर्जमाफी की बात की गई और न ही ‘अतिवृष्टि’ घोषित करने की मांग सुनी गई.

'किसान को मात्र 10 हजार रुपये की मदद मिल रही'

कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने भी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किसानों के लिए 31,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किया था, लेकिन हकीकत में सिर्फ 1,800 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई. यह प्रति हेक्टेयर मात्र 10,000 रुपये की सहायता है, जो किसानों के साथ छल है.

उन्होंने कहा कि जून से सितंबर के बीच 253 तहसीलें भारी बारिश से प्रभावित हुई हैं, लेकिन सरकार ने सिर्फ एनडीआरएफ के नियमों के अनुसार राहत दी, कोई अतिरिक्त सहायता नहीं दी. जिन किसानों की जमीन बह गई, उन्हें तीन साल में मुआवजा मिलेगा. तब तक वे कैसे गुजारा करेंगे.

कपास की खरीद का मुद्दा उठाया

वडेट्टीवार ने बताया कि कपास खरीद प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हुई है, क्योंकि कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने ‘अवास्तविक शर्तों’ के कारण अनुमति नहीं दी है. सोयाबीन की फसल भी बर्बाद हुई है और बाजार में उसके दाम बेहद गिर चुके हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने एपीएमसी को विपणन मंत्री के सीधे नियंत्रण में देकर किसानों के हितों पर प्रहार किया है. इससे सिस्टम के दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाएगी.

ठाणे में भी एनसीपी (एसपी) कार्यकर्ताओं ने जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर काला कपड़ा और रिबन पहनकर प्रदर्शन किया. जिलाध्यक्ष मनोज प्रधान के नेतृत्व में हुए इस विरोध में सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई. प्रधान ने कहा कि इस सरकार ने राहत पैकेज के नाम पर किसानों को ठगा है. न तो दिवाली से पहले सहायता मिली और न ही कर्जमाफी की कोई बात हुई. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने वादे पूरे नहीं किए तो आंदोलन और तेज किया जाएगा. (पीटीआई)

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