मसाला फसलों में हल्दी का एक विशेष स्थान है. दुनियाभर के किसान इसकी खेती से जुड़े हैं और ये बढ़िया मुनाफा देने वाली उपज है. इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का गुण पाया जाता है. इसके प्रयोग से शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है. हल्दी का जितना औषधीय महत्व है, उतना ही इसका धार्मिक महत्व भी है. हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य में हल्दी का प्रयोग किया जाता है. हल्दी की बाजार मांग काफी रहती है और इससे इसके अच्छे भाव मिलते हैं. किसान हल्दी की की खेती से अच्छी कमाई कमा सकते हैं.महाराष्ट्र में कई किसान अब हल्दी के खेती साथ -साथ खुद उसकी प्रोसेसिंग से जुड़कर कर डबल मुनाफा कमा रहे हैं.
किसान इसकी बुवाई के समय अगर सही किस्मों का चयन करें तो मुनाफा और बढ़ सकता है. किसान करीब 2 लाख हेक्टेयर के क्षेत्रफल में हल्दी की खेती कर रहे हैं.वैसे तो बाजार में हल्दी की कई किस्में मौजूद हैं, लेकिन ये किस्में बेहद खास हैं. इनसे किसान बढ़िया उत्पादन लेकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं. तो आइए जानते हैं हल्दी की उन्नत किस्में कौन-कौन सी हैं.
सुगंधम
हल्दी की ये किस्म 200 से 210 दिनों में तैयार हो जाती है. इस हल्दी का आकार थोड़ा लंबा होता है और रंग हल्का पीला होता है. किसान इस किस्म से प्रति एकड़ 80 से 90 क्विंटल उपज प्राप्त कर सकते हैं.
आर एच 5
हल्दी की ये किस्म करीब 80 से 100 सेंटीमीटर ऊंचे पौधों वाली होती है। इस किस्म को तैयार होने में करीब 210 से 220 दिन लगते है. इस किस्म से 200 से 220 क्विंटल प्रति एकड़ हल्दी की पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
सुदर्शन
हल्दी की ये किस्म आकार में छोटी होती है, लेकिन दिखने में खूबसूरत होती है. 230 दिनों में फसल पककर तैयार हो जाती है. प्रति एकड़ 110 से 115 क्विंटल की पैदावार होती है.
सोरमा
हल्दी की इस किस्म के कंद अंदर से नारंगी रंग के होते हैं. इस किस्म को खुदाई के लिए तैयार होने में 210 दिन लगता है. इससे प्राप्त होने वाली उपज की बात करें तो इस किस्म से प्रति एकड़ करीब 80 से 90 क्विंटल तक उपज प्राप्त हो सकती है.
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