कम दाम से परेशान किसानों ने प्याज की खेती अब कम करनी शुरू कर दी है. देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र में इसकी खेती का ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है. पिछले दो साल से प्याज का दाम 10 रुपये किलो तक का औसत भाव मिल रहा है. इससे परेशान किसान अब कम खेती पर जोर दे रहे हैं.
महाराष्ट्र में इस वक्त अर्ली खरीफ सीजन के प्याज की बुवाई चल रही है. इसकी हार्वेस्टिंग अक्टूबर-नवंबर में होगी. किसानों के प्याज की खेती की लागत 15 से 18 रुपये किलो तक पहुंच गई है.
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि प्याज की रोपाई कम से कम 20 फीसदी कम हो गई है. किसानों ने इस बार बहुत कम नर्सरी डाली है क्योंकि इसकी खेती में लगातार घाटा हो रहा है.
भारत दिघोले का कहना है कि ज्यादातर किसानों ने प्याज की खेती छोड़ सोयाबीन की बुवाई की है. कुछ ने मक्का और कॉटन भी बोया है. अगर प्याज का दाम ऐसे ही कम मिलता रहेगा तो किसान घाटा सहकर खेती क्यों करेंगे.
दिघोले ने आगे बताया कि बारिश में कमी की वजह से भी प्याज की रोपाई कम हुई है. लेकिन इसकी असली वजह कम दाम है. लागत 18 रुपये हो गई है. ऐसे में कम से कम 30 रुपये किलो का दाम किसानों को मिलेगा तब जाकर इसकी खेती में फायदा होगा.
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन लंबे समय से प्याज को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी के दायरे में लाने की मांग कर रहा है. संगठन चाहता है कि किसानों को कम से कम 30 रुपये किलो का दाम मिले. दिघोले का तर्क है कि इससे किसानों को उचित दाम मिलेगा.
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