सोलापुर जिले का मंगलवेढा तालुका खरीफ फसलों के लिए मशहूर है. यहां जवार, बाजरा, तुअर की फसल बड़े पैमाने पर उगाई जाती है. लेकिन यहां के आरली गांव के रहने वाले किसान शिवशंकर भांजे पिछले 30 साल से देसी केले खेती करके मिसाल कायम कर रहे हैं.
किसान ने आठ एकड़ में देसी केले के बाग लगाए हैं. उनका कहना है कि बाजार में इसका दाम अच्छा मिलता है.
भांजे बताते हैं कि बाजार में सामान्य केले का भाव 20 रुपया किलो मिला है, लेकिन देसी केला का 35 रुपये प्रति किलो तक का अच्छा दाम मिल रहा है.
इतना ही नहीं सांगली और कोल्हापूर जैसे दूसरे जिले के व्यापारी भी इनके खेत में आकार खरीद करते हैं. एक एकड़ में 4 लाख रुपये तक के मुनाफे का दावा किया गया है.
भांजे बताते हैं कि वो अपने घर पर खाद बनाते हैं. खाद में वो गीर गाय के गोबर और मूत्र से बनी स्लरी और जीवामृत देते हैं. इस कारण खेती में फसल अच्छी उगती है. साथ ही केले का स्वाद भी बहुत मीठा होता है. देसी खेती के इस काम में उनके बेटे और पोते भी मदद करते हैं.
किसान भांजे का दावा है कि देसी केले की किस्म पोषण के लिहाज से अच्छा होता है. यह विटामिन सी और पोटैशियम से भरपूर होते हैं. इन छोटे आकार के केलों में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, आयरन और कैल्शियम जैसे अन्य आवश्यक पोषक तत्व भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं. देसी केले शरीर में तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं.
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