इस साल देश के कई राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति देखी गई है, जिसका सबसे बड़ा नुकसान किसानों को उठाना पड़ा है. इसी तरह महाराष्ट्र के जालना जिले के कई इलाकों में पिछले 10-12 दिनों से हो रही लगातार बारिश ने किसानों की फसलों को बुरी तरह प्रभावित किया है.
जालना में भारी बारिश और बाढ़ से बाजीउम्रद, सोमनाथ, कोरेगांव और वझर सराटे जैसे क्षेत्रों में सोयाबीन, कपास और केले की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी है और उन्होंने शासन से तत्काल आर्थिक मदद की मांग उठाई है.
बाजीउम्रद गांव में लगातार बारिश के चलते खेतों में पानी भर गया है. इसकी वजह से सोयाबीन की फसल पीली पड़ने लगी है और बालियों के फूटने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. किसानों का कहना है कि इस स्थिति में उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. उन्होंने शासन से प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की तत्काल आर्थिक सहायता देने की मांग की है.
सोमनाथ इलाके में खरीफ की सोयाबीन और कपास की फसलों पर भी अतिवृष्टि का गहरा असर पड़ा है. खेतों में पानी जमा हो जाने के कारण फसलें गलने लगी हैं. किसानों का कहना है कि कटाई के समय खेतों में पानी ठहर जाने से बालियां फूट रही है, और कपास की गुणवत्ता भी बिगड़ रही है. स्थानीय किसानों ने शासन से मांग की है कि बिना पंचनामा के ओला आपदा घोषित कर तत्काल मदद उपलब्ध कराई जाए.
परतूर तालुका के कोरेगांव में भी मूसलाधार बारिश ने कहर ढाया है. किसान बाजीराव खरात ने अपनी आठ हजार केले के पौधों की खेती में लाखों रुपये का निवेश किया था, लेकिन लगातार बारिश के चलते अब उनके बागानों में लगे फल सड़ने लगे हैं. इससे उनका भारी नुकसान हो रहा है. खरात सहित कई किसानों ने प्रशासन से तत्काल पंचनामा कर आर्थिक मदद देने की मांग की है.
वहीं, वझर सराटे गांव के किसानों की हालत भी दयनीय हो चुकी है. यहां लगातार बारिश से सोयाबीन और कपास की फसलें पानी में डूबकर पूरी तरह नष्ट हो गई हैं. किसान ज्ञानेश्वर सराटे ने बताया कि दशहरा और दिवाली पर मिलने वाली आमदनी अब खतरे में पड़ गई है. किसानों का कहना है कि प्रशासन को तुरंत कार्रवाई कर नुकसान का सही आकलन करना चाहिए और उसके अनुसार आर्थिक मदद देनी चाहिए.
लगातार हो रही बारिश से जालना जिले में खरीफ सीजन की फसलों को व्यापक नुकसान हो रहा है. सोयाबीन और कपास जैसे नकदी फसलें साथ ही केले जैसी बागवानी फसलों की बर्बादी से किसान कर्ज और आर्थिक तंगी की चपेट में आ गए हैं. प्रभावित किसानों ने शासन और प्रशासन से तुरंत पंचनामा कर तत्काल राहत पैकेज देने की मांग की है.
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