
महाराष्ट्र के जालना जिले से एक बेहद दर्दनाक तस्वीर सामने आई है, जहां मिर्च की अच्छी कीमत न मिलने से एक किसान ने मजबूर होकर अपने तीन एकड़ के खेत में उगाई फसल में भेड़ें छोड़ दी.

यह घटना जालना के भोकरदन तहसील के पोखरी गांव का है. पोखरी के किसान गणेश शेलके ने चार महीने पहले अपनी तीन एकड़ जमीन में मिर्च की खेती की थी.

इसके लिए उन्होंने बीज, मजदूर, और सिंचाई पर हजारों रुपये खर्च किए थे. मेहनत के बाद फसल भी अच्छी हुई, लेकिन जब बेचने की बारी आई, तब बाज़ार में हरी मिर्च की आवक अचानक बढ़ गई.

आवक बढ़ने से दाम बुरी तरह गिर गए. किसान को उसकी लागत तक वसूल नहीं हो पा रही थी. ऐसे में आर्थिक तंगी से परेशान गणेश शेलके ने मजबूरी में अपनी भेड़ों को मिर्च के खेत में छोड़ दिया.

कुछ ही घंटों में तीन एकड़ की पूरी फसल चौपट हो गई. किसान शेलके का कहना है कि अगर खेती का माल सही दाम पर बिके, तो किसान कर्ज में नहीं डूबेगा.

उन्होंने सरकार से यह भी अपील की है कि किसानों को उनके उत्पादों का न्यायोचित बाजार भाव मिले, ताकि कोई और किसान इस तरह अपनी मेहनत को खुद बर्बाद करने पर मजबूर न हो.

एक तरफ किसान दिन-रात मेहनत कर फसल उगाते हैं, और दूसरी तरफ जब मेहनत की कीमत नहीं मिलती, तो यह तस्वीर हमारे सामने आती हैं. सवाल ये है कि आखिर कब तक किसान को अपने ही पसीने की खेती यूं बर्बाद करनी पड़ेगी?
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