आज के दौर में, जब पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ रही हैं, रसोई के कचरे से खाद बनाना न केवल पर्यावरण को बचाने का एक तरीका है, बल्कि यह खेती और बागवानी में भी मददगार साबित हो रहा है. रसोई के बचे हुए कचरे को सीधे फेंकने की बजाय, इसे खाद में बदलकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है.
दरअसल, रसोई का कचरा जब लैंडफिल में जाता है, तो यह ग्रीनहाउस गैसों जैसे मीथेन का उत्पादन करता है, जो जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा कारण है. खाद बनाने से इन गैसों का उत्पादन रोका जा सकता है. वहीं, रसोई के कचरे से जो खाद बनती है वो मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्व देती है, जिससे मिट्टी की संरचना बेहतर होती है और फसलों की गुणवत्ता में सुधार आता है.
इसके अलावा, खाद बनाकर महंगे केमिकल फर्टिलाइजर पर निर्भरता कम की जा सकती है, जिससे खेती और बागवानी की लागत घटती है. ऐसे में फल और सब्जियों के छिलके, चाय पत्ती और कॉफी के अवशेष, अंडे के छिलके, सूखे फूल और घास की कटाई, ब्रेड, चावल और पके हुए अनाज से खाद बना सकते हैं.
खुद घर में बनाएं खाद- खाद बनाने के लिए घर के पीछे कोई सूखी और छायादार जगह चुनें. हरे कचरे (फल और सब्जियों के छिलके) और भूरे कचरे (सूखे पत्ते, कागज) की परत बनाएं. इसे नियमित रूप से पलटते रहें ताकि ऑक्सीजन की आपूर्ति हो और कचरा जल्दी सड़े. इसमें नमी का ध्यान रखें, ताकि खाद गीली लेकिन बहुत भीगी न हो.
खास खाद के डिब्बे का उपयोग- बाजार में उपलब्ध खाद डिब्बे का उपयोग करके प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है. यह डिब्बा कचरे को जानवरों और कीड़ों से बचाता है. नियमित रूप से नमी और ऑक्सीजन का ध्यान रखें.
वर्मी कंपोस्टिंग (केंचुआ खाद)- केंचुआ खाद में विशेष प्रकार के लाल केंचुओं का उपयोग किया जाता है. कचरे के ऊपर नारियल के रेशे या अखबार डालें और केंचुओं को उनके काम पर लगने दें. यह प्रक्रिया बहुत पोषक खाद तैयार करती है.
गड्ढा खाद (ट्रेंच कंपोस्टिंग)- आप ट्रेंच कंपोस्टिंग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए खेत या बगीचे में 8-12 इंच गहरा गड्ढा खोदें. रोजाना रसोई का कचरा इसमें डालें और मिट्टी से ढक दें. यह कचरा धीरे-धीरे सड़कर मिट्टी को पोषक बनाता है.
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