बिहार में इस समय लीची का सीजन चल रहा है. इस बार लीची के फूल और मौसम दोनों ही शहद उत्पादन के लिए काफी अनुकूल हैं. खास बात यह है कि इस बार लीची के फूलों से शहद की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में सुधार हुआ है, जिससे मधुमक्खी पालक काफी खुश हैं. किसानों को इस बार लीची के साथ शहद से भी तगड़ी कमाई होने की उम्मीद है.
लीची से बना शहद अपने स्वाद और गुणवत्ता के लिए मशहूर है. लीची के फूलों से निकाला गया शहद अन्य शहदों की तुलना में ज़्यादा महंगा होता है क्योंकि इसकी गुणवत्ता और उत्पादन दोनों ही बेहतर होते हैं. इस मौसम में लीची की कलियों से शहद निकालने का काम तेज़ी से चल रहा है और मधुमक्खी पालक इस मौके का भरपूर फ़ायदा उठा रहे हैं.
लीची शहद का उत्पादन करने के लिए मधुमक्खी पालक खास बक्सों का इस्तेमाल करते हैं, जो शहद इकट्ठा करने के लिए बनाए गए हैं. मधुमक्खियां इन बक्सों में शहद इकट्ठा करती हैं. इस सीजन में करीब 30 दिनों के अंदर एक बक्से से चार बार शहद निकलने की उम्मीद है. इससे साफ है कि इस बार शहद की आपूर्ति और उत्पादन काफी ज्यादा रहने वाला है.
लीची के मौसम में मधुमक्खी पालकों के लिए अच्छा व्यवसाय का मौका है. वे अपनी मेहनत से शहद निकालकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस साल मध्य प्रदेश के भिंड के मधुमक्खी पालक विशाल ने मुजफ्फरपुर में 150 बक्सों से शहद निकालने का पहला काम किया है, जिसमें करीब 800 लीटर शहद निकला है. आने वाले दिनों में तीन बार और शहद निकाला जाएगा, जिससे कुल 32 सौ लीटर शहद निकलेगा.
लीची शहद की कीमत 100 से 150 रुपये प्रति लीटर तक है, जो अन्य शहद की तुलना में अधिक है. यह उच्च क्वालिटी वाले शहद का परिणाम है, जिससे मधुमक्खी पालकों को अच्छा मुनाफा मिलता है. शहद खरीदने वाले एजेंट भी इसकी उच्च क्वालिटी के कारण इस शहद को अधिक कीमत पर खरीदते हैं.
लीची के किसान भी इस शहद उत्पादन से खुश हैं. उनका कहना है कि जब मधुमक्खी पालक अपने बक्से लीची के बागों में रखते हैं, तो इससे लीची का उत्पादन बढ़ता है और उनकी खेती को अतिरिक्त लाभ होता है.
लीची के बागों में मधुमक्खी पालकों के बक्से रखने से लीची के फलों का आकार बढ़ता है और उत्पादन बेहतर होता है. इसके साथ ही किसानों को लीची की फसल पर होने वाला खर्च भी कम होता है.
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