गाय-भैंस के मुकाबले आज देश में बकरी पालन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इसके पीछ़े एक बड़ी वजह गाय-भैंस के मुकाबले इसका सस्ता होना भी है. आज जहां दूध देने वाली भैंस 80 हजार रुपये से लेकर एक लाख तक की आती है तो वहीं अच्छी नस्ल की बकरी 12 से 15 हजार रुपये तक की मिल जाती है. आज बड़ी-बड़ी डिग्री वाले भी बकरी पालन कर रहे हैं. बकरी पालन की ट्रेनिंग लेने वालों में 60 फीसद से ज्यादा लोग ग्रेजुएट और उच्च शिक्षित हैं. अगर आप भी बकरी पालन करने का प्लान बना रहे हैं तो खासतौर पर इन 20 बातों पर जरूर ध्यान देना होगा.
एक सच्चाई ये भी है कि बकरी पालन की ट्रेनिंग के लिए हमेशा 250 से 300 लोग वेटिंग में रहते हैं. बकरी पालन अब चार-पांच बकरियों का नहीं रह गया है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के रिकॉर्ड पर जाएं तो आईआईटी से पास आउट और रिटायर्ड आईएएस-आईपीएस भी बकरी पालन कर रहे हैं. नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत पशुपालन के लिए लोन दिया जाता है.
जैसा की हमने ऊपर बताया कि बकरी पालन खासतौर पर दूध और मीट के लिए किया जाता है. इसलिए ये जान लेना बेहद जरूरी है कि दूध के लिए बकरी की कौनसी नस्ल कितना दूध देती है. वहीं मीट के लिए किस नस्ल के बकरे पालने में ज्यादा मुनाफा होगा.
ब्लैक बंगाल- 750 ग्राम तक रोजाना
एक बार में तीन से चार बच्चे देती है.
बीटल- तीन से चार लीटर दूध देती है रोजाना.
बरबरी- एक से 2.5 लीटर दूध रोजाना देती है.
जखराना, सिरोही, तोतापरी, सोजर और सुरती दो से तीन लीटर दूध रोजाना देती है.
कैसा हो बकरी आवास-
25 से 30 बकरियों के लिए 20 फीट लम्बे और 20 फीट चौड़े हॉल की जरूरत होती है.
फर्श कच्चा होना चाहिए, जिससे यूरिन जमीन में चला जाए.
फर्श की मिट्टी भुर-भुरी मतलब रेत जैसी होनी चाहिए.
यूरिन और मेंगनी से मीथेन गैस निकलती है.
मीथेन गैस का असर 1.5 से दो फीट की ऊंचाई तक रहता है.
इतनी हाइट पर जब बकरी इसे इन्हेल करती है तो बीमार हो जाती है.
100 बकरी पर एक महीने में एक ट्रॉली मेंगनी निकलती है.
मेंगनी से भरी एक ट्रॉली एक हजार रुपये की बिकती है.
हरा चारा- 1 से 1.25 किलो तक
भूसा- 1किलो
मक्का, बाजारा, दाल की चूनी, सोयाबीन और मूंगफली केक 350 ग्राम.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today