
प्रारंभिक सर्वे के अनुसार, राज्य में तूफान से अब तक करीब 59,000 हेक्टेयर खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हुई हैं. इन खेतों में धान, कपास, मक्का और ज्वार जैसी मुख्य फसलें थीं. नुकसान झेलने वाले किसानों की संख्या करीब 78,796 है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 304 मंडलों के 1,825 गांवों में फसलों का नुकसान हुआ है.

मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने अफसरों आदेश दिया कि नुकसान का सटीक आकलन तकनीक की मदद से किया जाए, ताकि किसी को राहत पाने में देरी न हो. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सभी जिलों में कृषि विभाग के दल गांव-गांव जाकर सर्वे पूरा करें और किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू करें.

सरकारी बयान में बताया गया कि तूफान और लगातार बारिश के कारण हजारों लोगों को सुरक्षित करने के लिए राहत शिविरों में जगह दी गई हैं, जहां उन्हें जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. राज्य सरकार ने प्रभावित इलाकों में बड़े पैमाने पर राहत कार्य शुरू कर दिए हैं. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि लोगों की सुरक्षा और पुनर्वास सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.

चक्रवात मोन्था से करीब 18 लाख लोग चक्रवात से प्रभावित हुए हैं, इनमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र शामिल हैं. राज्य में 1,209 राहत शिविर बनाए गए हैं, जहां लगभग 1.16 लाख लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया गया है.

चक्रवात की तेज हवाओं से 380 पेड़ गिरने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिन्हें तुरंत हटाकर सड़क संपर्क बहाल किया गया. कई स्थानों पर बिजली के खंभे और तार टूटने से आपूर्ति बाधित हुई, जिसके लिए बिजली विभाग की टीमों को तैनात किया गया है.

तूफान ने न केवल फसलों को बल्कि सिंचाई और पेयजल परियोजनाओं को भी नुकसान पहुंचाया है. ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं को करीब 36 करोड़ रुपये और सिंचाई संरचनाओं को लगभग 16.45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पारदर्शी राहत वितरण सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन सर्वे, मोबाइल ऐप्स और सैटेलाइट डेटा की मदद ली जाएगी. मुख्यमंत्री ने जिलों के कलेक्टरों और फील्ड अधिकारियों से सीधी बातचीत की.

जिन किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है, उन्हें न केवल मुआवजा दिया जाएगा, बल्कि बीज और खाद की अगली खेप मुफ्त दी जाएगी ताकि वे जल्दी से खेती दोबारा शुरू कर सकें.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today