सेंट्रल बफैलो रिसर्च इंस्टीट्यूट (CIRB), हिसार, हरियाणा के रिटायर्ड साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह ने किसान तक (Kisan Tak) को बताया कि मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo) देश में सबसे ज्यादा पाली जाने वाली नस्ल है.
ये भैंस दूध भी ज्यादा देती है और क्वालिटी के मामले में भी बेस्ट है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर राज्यों की सरकारी स्कीम में भी मुर्रा भैंस शामिल है. लेकिन खरीदने के दौरान कई अलग-अलग पॉइंट पर मुर्रा नस्ल की पहचान की जा सकती है. आइए जानते हैं वो खास पहचान.
अब बात करें उसकी पहचान कि तो मुर्रा भैंस गहरे काले रंग की होती है. सींग छोटा, पीछे और ऊपर की ओर मुड़ता हुआ होता है. भैंस की आंखें काली और उभरी हुई होती हैं. जबकि भैंसे की आंखें थोड़ी सिकुड़ी हुई होती हैं. वहीं, पूंछ की लम्बाई 6 इंच तक होती है.
मुर्रा भैंस का शरीर भारी और पच्चर के आकार का होता है. साथ ही गर्दन पतली और लम्बी होती है, जबकि भैंसे की गर्दन मोटी और भारी होती है. मुर्रा भैंस के कान अलर्ट रहने वाले छोटे और पतले होते हैं. मुर्रा भैंस की लम्बाई 148 सेमी और भैंसे की 150 सेमी होती है.
मुर्रा भैंस की ऊंचाई 133 सेमी और भैंसे की 142 सेमी होती है. जन्म के वक्त मादा का वजन 30 किलो और नर का वजन 31.7 किलो तक होता है. वयस्क मुर्रा भैंस का वजन 350-700 किलो और नर का वजन 400-800 किलो तक होता है.
मुर्रा भैंस अब देश के सभी राज्यों में पाली जा रही हैं. केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा मुर्रा भैंस यूपी, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में पाली जा रही हैं. मुर्रा का दूध उत्पादन उसकी ब्यांत और दी जाने वाली खुराक पर निर्भर करता है.
मुर्रा भैंस को पालने वाले पशुपालकों को कच्चे फर्श और पक्की दीवारों वाला हवादार शेड बनवाना चाहिए. साथ ही मुर्रा भैंसों को बरसीम, जई, सरसों, बाजरा, ज्वार और क्लस्टर बीन खिलाए जाते हैं. खली, दलिया और गेहूं-दाल का भूसा भी खिलाया जाता है.
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