बिहार के मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची अब बाजार में आ गई है. बाजार में यह दो से ढाई सौ रुपये बिक रही है. मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची अब बागान से टूटना शुरू हो गई है और बिक्री भी शुरू है. बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में लोगों को शाही लीची का इंतजार रहता है.
15 मई से लीची की तुड़ाई शुरू है जो कि 20 मई तक तेज हो जाएगी. इस बार मौसम भी अनुकूल है. इस बार मुजफ्फरपुर में लीची का फल भी बढ़िया हुआ है. डिमांड भी खूब आ रही है. मुजफ्फरपुर की शाही लीची का स्वाद इस बार बढ़ने वाला है. जिले में देश भर के खरीदार पहुंचने लगे हैं और कीमत भी देने को तैयार हैं.
किसानों ने बातचीत में बताया है कि इस बार डिमांड बढ़िया है. इसी के साथ शाही लीची ट्रेन के माध्यम से मुबंई और दिल्ली भी सप्लाई शुरू हो गई है. सीजन आते ही शाही लीची की डिमांड काफी बढ़ जाती है. बड़े बड़े महानगरों से व्यापारी मुजफ्फरपुर पहुंच किसानों से संपर्क कर ऑर्डर देने लगते हैं.
मुजफ्फरपुर जंक्शन से लीची के मुंबई भेजी जा रही है. जयनगर -एलटीटी मुंबई 11062 पवन एक्सप्रेस की एसएलआर बोगी से 400 किलो लीची मुंबई भेजी गई है. लीची व्यापारी दामोदरपुर के मो. रेयाज ने लीची की पहली खेप मुंबई भेजी. हाल में बारिश होने से लीची को फायदा हुआ.
व्यापारियों के अनुसार, इस बार लीची का फल काफी अच्छा हुआ है. साइज के साथ-साथ खाने में भी काफी मीठा और स्वादिष्ट लग रहा है. इसकी डिमांड लगातार बड़े-बड़े शहरों से आ रही है. शुरुआत में तापमान अधिक होने के कारण मौसम का असर लीची पर पड़ा लेकिन बाद में बारिश हुई फिर लीची में लाली आने लगी.
लीची के सीजन के दौरान, बिहार में लगभग दो लाख मजदूरों को रोजगार मिलता है. सिर्फ मुजफ्फरपुर जिले में 15,000 हेक्टेयर में फैले 3,000 से अधिक लीची के बागों में, छोटे बागों में 25-50 और बड़े बागों में 75-150 मजदूरों की आवश्यकता होती है. इसमें खासकर महिलाओं को अधिक अवसर मिलता है.
लीची व्यापारी रेयाज ने कहा, लीची उद्योग में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय है. वे लीची की तुड़ाई, पैकिंग, और प्रोसेसिंग जैसे कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल हैं. इससे उन्हें न केवल आर्थिक स्वतंत्रता मिलती है, बल्कि उनके परिवारों की आय में भी वृद्धि होती है. कई महिलाएं इस उद्योग से जुड़कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं.
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