किसान सूरजमल नैन ने साल 2017 जुलाई में खरीफ की फसल कपास लगाई थी. लेकिन भारी बारिश के चलते फसल पूरी तरह से खराब हो गई. किसान की लागत भी जाती रही. बीमा कंपनी और विभाग ने बीमा देने से मना कर दिया. छह साल की लड़ाई के बाद अब कोर्ट ने बीमा की रकम देने के आदेश दिए हैं. तीन एकड़ जमीन पर फसल खराब हो गई थी. जबकि बीमा आठ एकड़ जमीन का हुआ था. विभाग और बीमा कंपनी दोनों मानते हैं कि किसान सूरजमल की कपास की फसल बारिश के चलते 100 फीसद खराब हो चुकी है, लेकिन बीमा देने को फिर भी तैयार नहीं हैं. बीमा तो छोड़िए सर्वे रिपोर्ट की कॉपी तक किसान को नहीं दी गई. उस एक अदद कॉपी के लिए भी किसान को आरटीआई का सहारा लेना पड़ा.
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